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प्रश्नध्याकरण भूमिकदमचिविखल्लाहे ' अपपिद्धनिमुद्रभिन्नफालितप्रगठितरुपिरकतभूमिकर्दमवि खिल्लपये तर अपरिद्धा माणादिमि , निमूटा-निपातिताःगहस्तादिमिः, भिन्नाः त्रिशूलादिभिः फलिता: स्फाटिता' विदारिवाथ कुठारादिभिये, तेभ्य. मगलितन =क्षरितेन रुधिरेग कृता-जातो यो भूमो-पृथिव्या पर्दमस्तेन चिलिचि आः पन्थानः = मार्गाः यत्र स तथा तत्र, 'फुच्छिदालियगलियनिम्मेलियतफरफर तरिगलमम्महयरिगयगाढदिगप्पहारमुनियमलतम्मिलवियफलणे ' कुक्षि दारितगलितनिलितान्त्रफुरफुरायमाणगिलमर्महतविकृतगाहदत्तमहारमून्तिल ठद्विदलविलापकरुणे-दारितात विदारितात् कुः उदरात् गलित रुचिर निन् लितानि = उदरादहिनिगलितानि च अनागि = 'आंतडियाँ' इति मापा प्रसिद्वानि येषां ते तथा, अतएर-फुरफुरायमाणाः = कम्पमानाः विकला:-निरुद्वेन्द्रियत्तित्वेन व्याकलाः, मर्महता:-कण्ठादिमर्मस्थाने हतास्तथा
ओंके हाथों को काट दिया करते है तथा ( अवहद्व) याणा से वेधे गये। (निसुट्ट) गले में हाथ डालकर हठात् जमीन पर पटक दिये गये, (भिन्न) त्रिशुल आदि के द्वारा भेदे गये एव ( फालिप) कुठार आदिद्वारा फाड दिये गये-विदारित किये गये ऐसे योद्धाओं के शरीर से (पगलिय) झरते हुए (रुहिर ) रक्तसे (कयभूमिकदमचिखिल्लपहे) जहा की भूमिम कीचड मच रही है और इसी से नहाके मार्ग चिकने हो रहे हैं तथा (कुच्छिदालिय)विदारित हुए उदरसे जिनके (गलिय) खून घरहा है और (निम्मेलियत) आतें मी जिनकी पेटसे वाहिर निकल आई है, इसी कारण जो (फुरफुरत ) कप रहे है और (विगल) विकल हो रहे है ऐसे योधा कि जिन पर ( मम्मयविगयगाढदिण्णप्पहार ) क्रोव के आवश
દ્ધાઓ એક બીજાના હાથ છેદી નાખે છે. તથા ના બાણોથી વિઘાયેલા "निसुदृ" मा य सरावाने पूर्व भीन ५२ पटायेस, "भिन्न" (शुस मावासलेहायेसी, सने "फालिय" ५२मी माहिद्वारा यीश नामेत, याद्वामान शरीरमा “पगलिय" पता "रुहिर" सोहीया 'कयभूभिकदमचिखिल्लपहे" orit જમીનમાં કીચડ થઈ ગયે છે, અને તે કારણે જ્યા માર્ગ લપસણું થઈ ગયા છે, તેવા "कुच्छिदालिय" मना विद्यारित येस। २माथी "गलिय" साडी बडी २ छ भने "निम्मेलियते " मना मात२. पेटमाथी मडा नीजी ५३या । मे २0 2 " फुरफुर त" पी २॥ छ, भने “विग" य गया, मना ५२ “मम्महयनिगयगाढदिण्णप्पहार" अपना आवेशमा