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प्रश्नव्याकरण 'कलाया' कलादामुवर्णकाराः 'कानडज्मा' फारुकीया:-शिल्पिनः 'वचणपरा' पञ्चनपराम्प्रतारणापरा 'ठग' इतिमसिद्धाः 'चारियचाटुयारनगरगोत्तिय परि यारगा, पारिकचाटुकारनगर गुप्तिकपरिचारका तन-चारिका गुप्तचराः, चार्ट फाराम्म्मुखमालिका, नगरगुप्तिका-कोपालाः, 'कोतवाल' इति प्रसिद्धा, परिचारका सेवकाः, विषयभोगतत्पराय, 'दुहवाइम्यकप्रणव मणिया' दुष्ट वादि सूचकमणवलमणिता , तत्र दुष्टनादिना असत्पक्षग्राहिणः सूचका-पिशुना, प्रणालमणिवा ऋणे-माणग्रहणे पलाअन्तस्तै मणिता उक्ताः " देहि मे ऋण' मित्युत्तमणेनोक्ता अघमर्णा इति भावः 'पुकालियवयणदच्छा' पूर्व कालिकवचनदक्षा बस्तुकामस्याभिपायमालक्ष्य पूर्वमेव ध्रुवन्ति ये ते पूर्वकालिकच चनदक्षाः, 'साहसिका' सहसा-अविचार्यभापन्ते ये ते साहसिकाः, 'लहुस्सगा' (पडकारगा ) जो तन्तु वाय-जुलाहे होते हैं (कलाया) कलाद-सुवर्ण फार -सुनार होते है, (कारहजा) कारुफीय-शिरपी-कारीगर होते हैं। (वचणपरा ) जो ठग होते है, (चारिय) गुप्तचर रोते हैं, (चाटुयार) चाटुकार-खुशामदी होते हैं, (नगरगोत्तिय) नगरगुप्तिक-कोतवाल होते हैं, (परियारग) परिचारक-सेवक तथा विषयभागों में तत्पर होत हैं, (दुहवाई ) जो असत्पक्ष को ग्रहण करने वाले होते है, (सूयग) सूचक-चुगल खोरहोते हे, (अणवलमणिया) मेरा ऋण अदा करी इस प्रकार जिस देनदार से साकार कहता है बेग बल मणित कर्ज दार व्यक्ति कहने वाले के अभिप्राय को लक्षित करके पहिले से ही बोलने वाले (पुवकालियवयणदच्छा) पूर्वकालिक वचनदक्ष मनुष्य (सारसिया) विना विचारे बोलने वाले मनुष्य, (लहस्सगा) अपन घातानु गुलशन यदाव छ, "पहकारगा" ५२ डाय छ, “ कलाया" सानी खाय छ, “कारुइज्जा" १२ हाय छ, “धचणपरा" गाय छ, "चारिय" गुप्तय२ सय छ “ चाटुयार" या१२-मुशामतीय डाय छ " नगरगोत्तिय " नारशुति-2वाज य छ, “ परियारग" परिया२४-से તથા વિષય ભાગોના ગુલામ હોય છે, જે અસત્ય પક્ષને ગ્રહણ કરનાર હોય छ," दुवाई" २ मसत्यपक्षने अड ४२नार हाय छ, "सूयग" सूय४अशलीमार हाय छ, “अणवलभणिया" 'भा३ य ल२४ ४२।' त પ્રમાણે જે દેણદારને શાહકાર કહે છે તે અણુબલ ભણિત દેણદાર વ્યક્તિ, કહે नारना मालिप्रायने दक्षिस उरीने पोथी गोली परनार हाय छ, “पुग्ध फालिय वयणदच्छा" पूर्व सास क्याथी माया भनुष्य, “साहसिया" वियार्या विना मोसना मनुष्य, “ लहुस्सगा" चातानी नतने तु२७ भाननार