________________
-
-
-
१२० याइ साहति बहूणि गोमियाण' लाउननिर्लागनमानदोहनपोपणननदुगनवाहनादिकानि साधयन्ति पनि गोमिना, लाञ्छन गादीना देहे तप्त गेहादिमिचिन्ह विशेपकरण, निर्लान्छनधित्वरण मान-गपादीना शरीरे वायुपूरणं दोहन
प्रसिद्धपोषण-पवचणकादिदानेन पुप्टिारण नन-अन्यमातरि उत्सादि सयोजन दावनम् उपतापन रज्ज्यादिनापादन-धनम् । पाहन-शाटादिपु योजनमित्यादि कानि 'पद्दणि ' बद्दनि गोमता गोपालादी प्रति यथयन्ति, ' धाउमणिसिलप्प वाल रयणागरे य साहे ति आगरीण ' धातुमणिगिलाममालरत्नाकरान साधयन्ति आकरिणा-घातलौहादयोमणयः चन्द्रका तादयः, शिलाः पापाणा, प्रबाला प्रसिद्धाः, रत्नानि मरकतादीनि, तेपामारा उत्पत्तिस्थानानि, आरिणादुवण-वाहणा-दियाइ साति मणि गोमियाण ) जो गोपालकजनग्वाले होते हैं-उनसे ये (लठण ) गाय आदि जानवरों के शरीर में डाभ देने के लिये, (निललण ) उन्हे निर्लाटण-वधिया करने के लिये, • (धमण) उनके शरीर मे चायु भरने के लिये, (दुरण) दोहन के लिये,
(पोसण) पोपण करने के लिये, जर चना आदि देकर पुष्ट बनाने के लिये, ( वणण ) वनन-मृतवत्सा गाय को दोहन करनेके अभिप्राय से उसके साथ दूसरी गोयफा बच्चा चुसाने के लिये, (दुवण ) दावनदुरते समय दोरी से पैर आदि को वाधने के लिये और (चाहण) गाड़ी आदि मे जोतने के लिये वार २ कहा करते है (वाउमणिसिलप्पवालरयणागरे य साति आगरीण ) जो ग्वनिपत्ति होते है उनके लिये लोहा दिक धातुओं, चन्द्रकान्त आदि मणियों पत्थरों, प्रवालों एव रत्नादिको " लछण-निलष्ण-धम्मण-दुहण-पोसण-यणण-दुरण-पाहणादियाइ साहेति बहणि गोमियाण " गावाजान तेगा पाय माहिना शरी२ ५२ भवान, "निल्लष्ण"
भने निर्वाचन-१ध्या ४२वाने भाटे “धमण" तभना शरीरमा उवा २पाने भाट “ दुहण ' होवार भाट "पोसण" पोषयु ४२वाने भाटे ४५, या माहि मापान पुष्ट नावाने भाट “वणण" बनन-२ गायनुवाछ રડ મરી ગયું હોય તે ગાયને દેહવાને નિમિત્તે તેને બીજી ગાયનું બચ્ચું परावा भाटे, “दुवण " qg-दोषाने मते हो२४1 43 41 मामा पाने भाट भने ' वाहण" on मा पाने नेवार भाट वा२ पा२ ह्या रेछ "धाउ मणिसिलप्पयोलरयणागरे य साहेति आगरीण "माणुन भास કેને લેખડ આદિ ધાતુઓ,ચન્દ્રકાન્ત આદિ મણીઓ, પથ્થરે, પ્રવાલે અને રન