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মায়াহ 'पगडपडागछिययोजयतीचामग्पलत उत्तयारगमीर' प्रस्टयताकोन्छूित वनवैजयन्तीचामरचलन्यान्धकारगम्भीरान प्राटा दूरस्था अपि दृश्यमाना याः पताका:-पिनालपताकाः उनिता प्रत्यूनंस्थिता' ये घमा लघुपताकाः चैजयन्त्यश्रणविजयपताका तथा नामराणि चटन्ति छाणि च तेः कृतेनाकारण गम्भीरे-गहने तथा ' यह सियहत्यिगुलगु लाइयरद गवगाइयपाइकहरहराइय आफोडियसीहनायलिलिय विघुगिटारयस भीमगनिए' तर यहेसिय' हयहेपित हयानाम् अश्वाना हेपित्त-शन्दित 'हत्यिगुगुलाइय' हस्तिगुलगुलायित हस्तिनागनाना गुलगुलायितम्-गुलगुलदा रहयगगाइय' स्थगनायितधावता स्थाना घनघनेति शब्द तथा 'पागहरहराइय' पदाति हरदरायित: पदातीना सैनिकाना हरहरेति शदित 'आफोडिय ' आम्फोटित-बाहुपरिस्फोटन 'सोहनाय' सिंहनादा-सिंहस्थर शब्दकरण 'छिलिय' सण्टित- सोलारकरण से (आडोविए) जो आडपर युक्त बना हुआ है । (पगड) दूर रहने पर भी दृश्यमान ऐसी (पटा) विशाल पनाकामओ से, (उच्छिर) ऊची की हुई ऐसी (धय) लघुपताकाओ से, (वेजयती ) वैजयन्तो-विजय सूचक ऐसी ध्वजाओ से, तथा (चामर ) चामरों से ण्य (चलतउत्त) चचलछत्रोसे किये गये (अधधार)अधकारसे जो (गभीरे) गहन हो रहाहै। तथा जहां (यहेसिय) घोड़ो की हिनहिनाटके शब्द हो रहे हैं, (हथिगु लगुलाइय ) हाथियों की गुरगुलाहट हो रही है, ( रघणवणाइय) इधर उधर दौडते हुए रयों का जहा धनवनाट श-द हो रहा है, (पाइकहर हराइय) पदातियों की जहा हर हराट-'हरहर' इस प्रकार को तुमुल ध्वनि हो रही है, (आफोडिय) वीर अपनी २ भुजाओं का जहा आस्फालन कर रहे है-फटकार रहे है, (सीदनाय ) सिंह के जैसी जहा ६२ ६२ डापा छत्ता ५५ नगरे पती सवा “ पड़ाग"विशा पताथी , "उच्छिय" यी राणेसी सेवी " धय" सधुपतासाथी, “ बेजयती" विन्यसूय वनसाथी, तथा "चामर" याभरीथी मन"चलतछत्त" ५२॥ छत्राथी ४२रायेस " अधयार" मधा२या २ ‘गभीरे" गडन थप गयुके, तथा या "हयहेसिय" घामानी ! जाटान भावाया रह्यो छ, "हत्थिगुलगुलाइय" हाथीमानी शुलखाट २डी छ, “ रघणयणाइय" मम तम होता थाना घाट या यादी २wो छ “पाइक हरहराइय"urlal-पायजना જ્યા હર હરાટ “હર હર ” એ પ્રકારને ભય હર શ્વનિ ચાલી રહ્યો છે, "आकोडिय" या वा। पात पातानी सुजयोनु सासन ४ २ह्य- आरी २६ “सोहनाय " सिंडनाया ग या । २ छ,