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सुदर्शिनी टीका १०२ सू० ५ नास्तिकवादिमतनिरूपणम् क्खाणरवि नत्यि' प्रत्याख्यान सारधर्मनिवृत्तिलक्षणमपि नास्ति धर्मस्याभावे तत्माधनस्य प्रत्यारयानस्याप्यभावः । अस्य मृपात्व, सर्वज्ञ वचनविरोधात् । 'न वि अस्थि' नापि च स्तः 'कालमच्च' कालमृत्यू-काल =भूतभविष्यद् वर्तमान लक्षणः कालः मृत्यु -मरण च । अथवा नापि चास्ति कालमृत्युःकाले आयुप्यकर्मदलिकक्षयाऽजसरे मृत्युमरणम्। 'अरिहता' तथा अर्हन्तस्तीर्थकराः 'चकवट्टी' चक्रवर्तिनः बलदेवा पामुदेवा पा न सन्ति प्रमाणाभावात् । नापि सन्ति 'के' केपि-गौतमादय , 'रिसओ' ऋषयः शमदमसयमाद्यनुष्ठानपरायणाः ऋपयो तरह कीटतक मे प्रसिद्ध पुरुपार्थ का अपलाप कर केवल प्रमाणातीत नियतिवाद स्वीकाराई कैसे हो सकता है। पुरुषार्थ का त्यागकर इसकी स्वीकृति से तो मृपावादिता ही इसमे आती है। (पच्चक्खाणमवि नधि ) सावद्यकर्मों से निवृत्ति होनी इसका नाम प्रत्याख्यान है। यह कहना कि धर्म के अभाव मे धर्म के साधनभूत प्रत्यारयान का भी अभाव है ! सो यह कथन भी मृपावादरूप इसलिये है कि इसमें सर्वज्ञ के वचन से विरोध आता है ! तथा ( न वि अस्थि कालमच्चू य ) इस प्रकारकी मान्यता कि-भूत, भविष्यत् और वर्तमानकाल नहीं है,मरण भी नहीं है, अथवा आयुकर्म के दलिकों के क्षय होने के अवसर में भी मरण नहीं होता है, ( अरिहता चकवट्टी, पलदेवा वासुदेवा नस्थि) अर्हन्त-तीर्थकर, चक्रवर्ती, बलदेव, वासुदेव ये सब प्रमाण के अभाव से कोई भी नही हुए है और ( नेवत्थि के इरिसओ) न गौतम आदि ऋपि ही हुए है, क्यों कि-शम, दम, सयम आदि अनुष्ठानों में परायપણ પ્રસિદ્ધ પુરૂષાર્થનું આરોપણ કર્યા પછી પ્રમાણાતીત નિયતિવાદ કેવી રીતે સ્વીકાર્ય બની કે પુરૂષાર્થને ત્યાગ કરીને તેની સ્વીકૃતિ કરવામા તે મૃષા पाहिती १ २ छे “ पचरखाणमवि नत्थि " सावध उर्भा-
पाथी निवृत्त થવુ તેનુ નામ પ્રત્યાખ્યાન છે એમ કહેવું કે ધર્મના અભાવે ધમ ના સાધ નરૂપ પ્રત્યાખ્યાનને પણ અભાવ છેએવુ કથન પણ તે કારણે મૃષાવાદરૂપ छ उ तेभा सजना वयनाने विशेष थाय छे तथा " न वि अस्थि काल मच्चू य" 20 t२नी मान्यता है भूत, भविष्य मने वर्तमान नथी, भरण પણ નથી, અથવા આયુ કર્મના સમૂહને ક્ષય થવાને અવસર આવે તો પણ म२५ थतु नथी, “अरिहता चक्वट्टी, बल्देवा वासुदेवा नथि" प्रमाणुना અભાવે, અહંન્ત-તીર્થકર, ચકવતી બળદેવ, વાસુદેવ વગેરે કોઈ પણ થયા नथी अने" नेवत्थि के इरिसओ" गीतम. माहि ऋषि थया नथी, ४२६Y 3શમ, દમ સચમ આદિ અનુષ્ઠાનમાં પરાયણ હોય તે જ વ્યક્તિને ત્રાષિ