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प्रश्नण्याकरण
त्वात् (१७) 'अभक्खाण ' अभ्यारयानम् असदोषारोपणम् , (१८) 'किदिवस' किल्विप-पाप-प्राणातिपातादिहेतुत्वात् , (१९) 'लय' लयमित्र वक्रत्वाद् कुटिलमित्यर्थः, (२०) 'गहण' गहन-गहनमिन गहन-चनमिर दुरगाहमित्यर्थः, (२१) 'मम्मण' मन्मनम् = मन्मनमिव मन्मनम् अम्फुटत्वात् । (२२) 'बूम' छादन-परगुणाच्छादने पिधानमिन, (२३) 'नियई' निकृतिः-मायाच्छादनायें वचन विप्रलम्भन या, (२४) 'अप्पच्चो ' अपत्यया अविश्वासः (२०) ' अस १६। इसके द्वारा असत्-अविद्यमान दोपों का आरोपण किया जाता है इसलिये इसका नाम अभ्याख्यान है १७ । यह प्राणातिपात आदि पापों का हेतु होता है इसलिये इसका नाम फिरिवप है १८ । वलय के जैसा यह कुटिल रहा करता है इसलिये इसका नाम वलय है १९। वन के समान यह दुरा चगार होता है इसलिए उसका नाम गहन है २० । जिस प्रकार तोतली बोली में शब्दस्फुट नहीं हो पाते है उसी प्रकार इसमें भी वस्तु का वास्तविक भान अस्फुट रहा करता है इसलिये इसका नाम मम्मण है २१। जिस तरह ढक्कन वस्तु को ढाक देता है उसी प्रकार यह भी पर के गुणों को आच्छादन कर देता है इसलिए इसका नाम नूम है। नूमनाम छादनका है२२, इसमे घोलनेवाला अपनी मायाको ढकने का प्रयास करता है, अथवा दूसरों को ढकने का उपाय रचता है इसलिये इसका नाम निकृति है २३ । कोई भी सजन पुरुप झूठ वचन का विश्वास नहीं करते है इसलिये इसका नाम अप्रत्यय-अविश्वास है २४। होषोनु मारोप राय छ तेथी तेनु नाम " अभ्याख्यान "छे (१८)त प्रातिपात माहि पापानु १२६४ाय छ, तथा तेनु नाम "किल्विष" छ (१८) सयन रेषु ते दुटिमा जय छे, तेथी तेनु नाम " वलय"छे (२०) बनना ते सडन डाय छ, तेथी तनु नाम “गहन" छे (२१) रम તેતડા વચને બરાબર સમજી શકાતા નથી એજ પ્રમાણે અસત્ય ભાષણમાં ५४ पास्तविमा भर१०-२मस्पट हा ४२ छ, तेथी तेनु नाम “मम्मण" છે (૨૨) જેમ ઢાકણુ વડે વસ્તુને ઢાકી દેવાય છે, એ જ રીતે અસત્ય વચન ५९ गुणाने दादी ना२ सापाथी तेनु नाम 'नूम' छ 'नूम 'मट माछ। દનઆવરણ (૨૩) અસત્ય ભાષણમા બેલનાર પિતાની માયાને ઢાકવાને પ્રયાસ કરે છે, અથવા બીજાને ઢાકી દેવાના ઉપાય રચે છે, તેથી તેનું નામ "निकृति"छे (२४) ७ ५५ सन पुरुष असत्य क्यान ५२ विश्वास भात नथी, तेथी तेनु नाम मप्रत्यय " अविश्वास"छे, (२५)न्याय पुरुषा