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মশ্বাস 'चीरल्लग' चीरलका-श्येनाभिधो हिंसकपतिविशेषः-योऽन्यपक्षिवधार्थ पाल्यते, 'आयस' लोहनिर्मितवन्धनविशेषः, 'दम' दादर्भमयमन्धनविशेषः, 'वग्गुरा' वागुरा-पाशः, कूटछेलिका-कृटाजा, सिंहादि मलोमनाथ चित्रलेप्यादिमयी छगलिका एते हस्ते येषां ते तयाभूताः । 'हरिरमा हरिकेशा:-मातगाश्चाण्डला इत्यर्थः, 'उणिया य' कुणिका तत्सेवकाः 'पीदसगपासहत्या' पीतसरूपाशहस्ता: -वीतसका मृगपक्षिरन्धनसाधनानि, पाशान, ते हस्ते येषां ते गीतसकपाशहस्ताः, 'वणचरगा' वनचरकाफिराताः, 'लुद्धगा' लुब्धका-व्याधाः, 'महुघाया' हुई इस घशी को तान लेते है, विधी हुई मछली इसी के साथ बाहर निकल आती है और मच्छीमार इसे पकड़ लेते है। जाळ-मरलो आदि पकड़ने की एक प्रकार की जाल, चीरहक-हिंसकपक्षिविशेष यह पक्षी अन्य पक्षियों को मारने के लिये शिकारियो द्वारापाला जाता है,आयस लोह का बना हुआ वधन विशेष, दर्भ-दर्भमय यधन विशेप, वागुरापाश, कूट छलिका-बनावटी बकरी जो सिंहादि जानवरो को लुभाने के लिये बनाकर रखी जाती है, ये सब जिनके हाथो में है ऐसे प्राणी । इस सब प्राणीवध के कर्ता जानना चाहिये । तथा (हरिण्सा) हरिकेश-चाण्डाल, (उणिया) कुणिक-चाण्डाल के सेवकजन, (वीदगपासहत्था ) वीतसक-मृग एव पक्षियों के बांधने का साधन और पाश जिनके हाथ में हैं ऐसे (वणचरगा) किरात । ये भी प्राणवध के करने वाले माने गये है । (लुगा)) लुब्धक-याध, (मघाया) मधुघातकત્યાબાદ માછીમાર દેરીથી બાંધેલી તે જાળને ખેચી લે છે, તેમા ચેટી ગયેલી માછલીઓ તેની સાથે જ બહાર નીકળી આવે છે અને માછીમાર તેને પકડી से छे atm-भा७८ मा ५४पानी से प्रा२नी , चीरल्लक-मे હિંસક પક્ષીનું નામ, તે પક્ષી બીજા પક્ષીઓને મારવાને માટે શિકારીઓ વડે पाय छ आयस-बोटानु मनावे मे तनु धन, “दभ" नु तनु मधन, वागुरा-पाश, कूटछलिका-ixel N २ मिंड मा नवरीन લલચાવવા માટે બનાવીને રાખવામાં આવે છે, એ સઘળી ચીજો જેમના साथमा तपा सघा वो प्रावध ४२॥२॥ हाय छ तथा " हरिएसा"
शि-या, “उणिया " गि-याना सेवी, "वींदसगपासहत्था " વીત સક-મૃગ અને પક્ષીઓને બાધવાનું એક સાધન અને પાશ જેના थिभामा “वणचरगा" शत परे प्राणु उरना। भनाय छ "लुद्धगा" सुध-व्याध, “मघाया " भY धात-भ पाने । .