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प्रश्नव्याकरण अपतीकारम् अतीकाररहित-पद्धायुप्फ्लात् यद् अटव्या महारण्ये जन्म तत् तथा, तत्र 'णिच्चभउन्विग्गवास' नित्यभयोद्विग्नपासः नित्य - प्रतिक्षण भयेनव्याधादिकर्तृकवधनिग्रहादिरूपेण उद्विग्ना उद्वेगसहित पासः = निरासः अतएव 'जग्गण' जागरण-निद्राक्षय 'वह' ध =मारण, 'बधण' बन्धनम्रज्यादिना नियमन, 'ताडण 'ताडन-दण्डादिना हननम् , 'अरुण' अझन-प्रतप्तशूलादिना शरीरे चिन्हविशेपकरणं, निरायण ' निपातनम् उत्याप्य गर्नादौ प्रक्षेपणम् 'अद्विभजण' अस्थिभजनम् मुद्रादिनाऽस्थ्ना प्रोटन 'नासाभेय ' नासामेदा - नासिकायो रज्जुयोजनार्य छिद्रकरण । पहारदमण महारदमन-प्रहारः-यष्टया दिताडनैः दमन = स्वायत्तीकरण, 'छरिन्छेयण' छविच्छेदन = अवयवकर्तन 'अमिओगपावण' अभियोगमापणम् = अनिन्छतोऽपि शस्टादौ नियोजन, (वेयण अप्पडियार ) प्रतिकार रहित दुख, ( अडविजम्मण ) अटवी मे जन्म होने का दुःख, ( णिच्छभान्विग्गवास) प्रतिक्षण व्याध आदि के वध-निग्रह आदि के भय से उद्विग्न चित्त होकर निवास करने का दुःख, (जग्गण) इच्छानुसार निंद्रा नहीं ले सकने का दुःख, (वह) वधजन्य दुःख, (बधण) रस्सी आदि द्वारा घाधे जाने का दुःस (ताडण) दण्ड आदि से मर्मस्थानों में ताडित किये जाने का दुःख, ( कण) प्रतप्त शूल आदि द्वारा शरीर में दाग दिये जाने का दुख, (णिवायण) उठा कर गर्ने आदि में पटक दिये जाने का दुःख, (अट्ठिभजण ) मुद्गर आदि से हड्डियों को तोड दिये जाने का दुःख, (नासाभेय) नासिका के छेदन करने का दुःख, (पहारदमण ) लकडी चाबुक आदि के प्रहारों से वशीभूत होने का दुःख ( छवि-च्छेयण ) शारीरिक अवयव काट दिये जानेका दुःख, (अभिओगपावग) नही इच्छा होनेपर भी जब गाडी आदि
मने “ वेयण अप्पडियार " प्रति२२हित हुम " अडविजम्मण" वनमा म. थवानुन, “ णिच्चभउव्विगगवास" प्रत्ये क्षण व्या५ ALE द्वा२१ १ध, निड माहिना भयथी दिन यत्ते २२पानुहुम “जग्गण " (२७ प्रमाणे निद्रा न शवानुम " वह " १५ अन्य , “बधण" हो२७ मा माधवानु , " ताडण" alsh माथी भभस्थान। ५२ માર પડવાનું દુ ખ “ળ” તપાવેલ શૂળ આદિ દ્વારા શરીરે ડામ દેવાયાનું हुम “णिवायण" पाडी मामाहिमा ३४वानु " अदिभजण " भग
on माध्धिी 813 तावानुम," नासाभेय "ना हावानुम" पहा - रदमण" alssी न्याभुड माहिना हाथी ताये थवानुभ, “छविच्छेयण"
शीना अवयवे। पावानुम " अभिओगपावग" छान