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प्रश्न याकरण 'उपखणण' उत्खनन-कुद्दालादिमि पृथिव्यादीना पिदारणम् , 'उक्यण' उक्त थन-वृक्षादीना त्वचापनयन, 'पयण' पचन ' कोट्टण' कुटन-मसिद्ध, 'पीसण' पेपण-घरट्टादौ चूर्णन, 'पिट्टण' पिट्टन-ताडन, ' मजण' भजनभ्राष्ट्रे पवन, 'गालण' गालन-लतागुल्मादि रस निगारणम् , ' आमोडण 'आमोटनम् शाखा दीना मोटन, 'सडण' शटन-स्वयमेव विकृतभान, 'फुडग' स्फुटन स्वय द्विधा भवन, 'भनण' भजन-जुटन-त्रोटन पा, "उयण' छेदन-कुठारादिना द्विघाकरण, 'तच्छण' तक्षणमास्यादिभिश्छोग्न, 'विलुपण ' विलुश्चन-लोमादेरित्र से पृथिवी आदि का विदारण करना-सोदना, इसका नाम (उपखणण) उत्खनन है । वृक्षादिकों की गल निकालना इसका नाम (उपत्यण) उत्कथन है । पकानेका नाम (पयण) पचन है । कूटने का नाम (कोहण) कुटन है । घरट्ट आदि में गेह आदि का पीसना इसका नाम (पीसण) पेपण है । ताडक परना इसका नाम (पिट्टण) पिटन है। भाड में भूजना इसका नाम (भज्जण) भर्जन है। लता गुरम आदि का रस निकालना इसका नाम ( गालण ) गालन है । शाखादिक का मरोडना इसका नाम (आमोडण) आमोटन है। अपने आप विकृत हो जाना इसका नाम (सडण ) शटन है। स्वतः दो टुकडे हो जाना (फुडण) स्फुटन है । तूटना या किसी से तोड लिया जाना इसका नाम (भजण) भजन है। कुठार आदि से काट दिया जाना, इसका नाम (छेधण) छेदन है । चरसला आदि से छोलना इसको नाम (तच्छण) तक्षण है। रोम आदि की तरह पत्रादिक का दूर करना इसका नाम (बिलुचण) જો તરીકે ઉત્પન્ન થઈને ઉખનન આદિ દુખે ભગવે છે કેદાળી આદિ 43 प्रथिवी. माहिर माहवानी जियाने " उसणण" COनन के वृक्षा हिनास ताकी तेयाने "उकत्थण "थन ४ छ राघवानी यिनि " पयण " ५यन 38 छ टपानी-पानी ठियाने " कोण " अट्टन ४९ छ घटी माहिमा घ8 माहिने जवानी जियाने "पीसण" पेषा छ भार मारवानी ठियाने "पिट्टण" पिट्टन के महीमा शवानी याने "भज्जण" a ४ जे सता, शुभ माहिभाथी २स डाढवानी ठियाने "गालण" शासन ४ छ शामा माहित भ२४ानी याने “आमोडण" सामाटन उछ मायामा५ विकृत थ पानी याने “सडण" शटन छ
१४ थरवानी याने "फुडण" टन छ त तापानी जान्न ४ तेउवानी हियान "भजण " छ पुरी माध्धिी पवानी याने "छेयण" छैन । छ वासा मादिया -.- • -: