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मनध्याकरणसूत्रे
पञ्चममुपद्वारमाह- 'कयरेते' इत्यादि ।
मूलम् - कयरे ते ? जे ते सोयरिया मच्छवंधा साउणिय वाहा कूरकम्मा वाउरिया दीविय बघणप्पओग तप्पगल-जाल-वीरलगाय सदव्भ वग्गुरा-कूडछलियाहत्था हरिएसा उणिया यविदंस गपासहत्था वणचरगा लुद्धगा महुधाया पोयघाया एणीयारा पणीयारा सरदह दीहिय-तलाग-पल्लग - परिगालण-मलण सोतबंधण सलिलासय सोसगा विसगरस्स य दायगा उत्तणवलरवग्गिणिदयपलीवका कूरकम्मकारी ॥ सू० २९ ॥
टीका- 'कपरे ते' कतरे ते प्राणाधकर्तारः ? इति मने सत्युत्तरमाह - 'सोयरिया' इत्यादि - 'जे ते' ये ते 'सोयरिया' सौकरिका करघातकाः 'मच्छवधा' मत्स्यबन्धा = मत्स्यघातका बीवरा इत्यर्थ, 'साउनिया' शाकुनिकाः = पक्षिनधोपजीविनः,
भी फलदार न कह कर जो प्रथमप्राणवध द्वार का पंचम उपहार कहा जा रहा है उसका कारण यह है कि फल, कर्त्ता के आधीन होने से पहिले कर्त्ता को प्रधानता रहती है, दूसरे कर्ता के विषय में वक्तव्य भी अल्प है तो सूची कटान्याय से पहिले " स विय करेंति पावा पाणावह इस प्रथमप्राणवध द्वार का यह पचम उपद्वार ही कहा जा रहा है
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करे ते ' इत्यादि ।
ट कार्य - प्रश्न (करे ते) प्राणवध करनेवाले वे कौन २ से प्राणी हैं ? उत्तर- ( जे ते ) वे य २ है - ( सोयरिया, मच्छवधा, साउनिया वाहाकर कम्मा वाउरिया ) ( सोयरिया) सौकारिक - सुअर की शिकार करने
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फल देह " मे थोथु इस द्वार पडेसाहेवु लेहतु हेतु, छता पशु इस द्वारनु વર્ણન ન કરતા પહેલા પ્રાણવધદ્વારનું પાચમુ ઉપદ્રાર વર્ણવવામા આવ્યુ છે, તેનુ કારણ એ છે કે ફળ, કર્તાને અધીન હોવાથી પહેલા કર્તાની પ્રધાનતા રહે છે અને ખીજુ કારણ એ છે કે કૉની ખાખતમા વક્તવ્ય કહેવાનુ પણ थोडु छे, तेथी सूथी उटान्याये पडेला " जे विय करेंति पावा पाणवह પ્રથમ પ્રાણવધ દ્વારનું આ પાચમુ ઉપદ્રાર જ વણુવવામા આવી રહ્યુ છે" कयरे ते " इत्याहि
टी अर्थ - प्रश्न - " कयरे ते १ " પ્રાણવધ કરનારા તે કયા કયા પ્રાણીઓ છે ?
उत्तर- "जे वे" तेसो नीचे प्रभाषे छे- “सोयरिया, मच्छत्रधा सारणिया
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