________________
२५०
जैन धर्म का मौलिक इतिहास-द्वितीय भाग [शिशुनाग राजवंश अजातशत्रु कूणिक किस समय मगध के सिंहासन पर बैठा और कितने वर्ष तक शासन करने के पश्चात् किस समय उसका देहान्त हुआ इस सम्बन्ध में जैन वाङमय में यद्यपि कोई स्पष्ट उल्लेख उपलब्ध नहीं होता तथापि आगम में उपलब्ध उल्लेख से यह अनुमान किया जाता है कि भगवान् महावीर के निर्वाण से लगभग १७ वर्ष पूर्व वह मगध के राज्य सिंहासन पर बैठा । कूणिक ने कितने वर्ष तक शासन किया इस सम्बन्ध में मथुरा संग्रहालय में उपलब्ध कूरिणक की मूर्ति पर खुदे शिलालेख में कूणिक का शासनकाल ३४ वर्ष ८ मास बताया गया है।' इससे यह अनुमान लगाया जाता है कि वीर नि०.सं० १७ अथवा १८ के मध्यवर्ती काल में कूणिक का देहावसान हुआ।
शिशुनागवंश का संक्षिप्त परिचय शिशुनागवंश कब से प्रचलित हुआ, इस वंश का प्रवत्तंक मूल-पुरुष कौन था और किस-किस समय में इस वंश के किन-किन राजाओं का किस-किस राज्य पर शासन रहा, इस सम्बन्ध में जैन ग्रन्थों में प्रारम्भिक काल का विवरण नहीं के तुल्य उपलब्ध होता है। वस्तुतः जैन ग्रन्थों में "शिशुनागवंश" नामक किसी वंश का उल्लेख अभी तक उपलब्ध नहीं हुआ है ।
बिम्बसार (श्रेणिक), कूरिणक (अजातशत्रु), उदायी (उदयाश्व), नंद (नन्दिवर्धन) महानन्द आदि इतिहास प्रसिद्ध मगध के सम्राटों का भारतीय इतिहास के ग्रन्थों में एवं मत्स्यपुराण, वायुपुराण, और श्रीमद्भागवतपुराण मादि पुराणग्रन्थों में शिशुनागवंशी राजाओं के रूप में परिचय दिया गया है। जब कि जैनग्रन्थों में इन मगधसम्राटों एवं इनके पुत्र-पौत्रों, महारानियों, युवराशियों तक के जीवनवृत्त पर पर्याप्त प्रकाश डाले जाने के उपरान्त भी ये सम्राट् किस वंश के थे इस सम्बन्ध में कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं किया गया है। एक स्थल पर मागध दूत के द्वारा जिस समय कि श्रेरिणक की अभिलाषा की पत्ति हेतु वैशाली गणतन्त्र के अधीश्वर महाराजा चेटक के समक्ष उनकी पुत्री सुज्येष्ठा का विवाह मगधपति श्रेणिक के साथ करने का प्रस्ताव रखा गया, उस अवसर पर त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रकार - प्राचार्य हेमचन्द्र ने चेटक के मुख से कहलवाया है -
चेटकोऽप्यब्रवीदेवमनात्मज्ञस्तव प्रभुः । वाहीककुलजो वांछन्, कन्यां हैहयवंशजाम् ।।२२६॥ समानकुलयोरेव विवाहो, हन्त नान्ययोः ।
तत्कन्यां न हि दास्यामि श्रेणिकाय प्रयाहि भो ॥२२७।। 'निभद प्रसेनी पज (1) सत्रु राजो (सि) र (1) ४,२० (य) १० (ड) - (हि अथवा
ही) कूणिक सेवासि नागो मागधानाम् राजा । ३४ (वर्ष) ८ (महिना) (शासन काल) - जनरल प्राफ दी बिहार एण्ड उड़ीसा रिसर्च सोसायटी, दिसम्बर १९१६ वोल्यूम ५, भाग ४,प. ५५०
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org