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भ्रम का निराकरण] दशपूर्वपर-काल : प्रायं श्यामाचार्य छोटे-छोटे राजारों के राज्यों को पृथक्-पृथक् और प्रसंगठित सेनानी ने मिस्र, ईरान और यूनान के सुविशाल साम्राज्य के स्वामी सिकन्दर की सेनामों को नाकों चने चबवा दिये। यदि वे छोटे-छोटे राज्यों की सेनाएं सम्मिलित रूप से सिकन्दर के साथ युद्ध करती तो क्या परिणाम होता, इसका रणनीतिविशारद सहज ही अनुमान लगा सकते हैं।
___ भारत पर किये गये उपरिचर्चित तीनों प्राक्रमणों के कारणों के सम्बन्ध में विचार करने पर यह स्पष्ट हो जाता है कि पहले दो आक्रमण भारत के गृहकलह के कारण हुए और तीसरे भाक्रमण का मूल कारण था एक अहम्मानी प्राक्रान्ता की महज महत्वाकांक्षा। इन तीनों में से एक भी माक्रमरण ऐसा नहीं, जिसके लिये कहा जा सके कि वह अहिंसा के सिद्धान्तों का पालन करने के फल स्वरूप अथवा अहिंसा के पुजारी किसी राजा की अहिंसाप्रधान नीति के परिणाम स्वरूप हुआ हो।
भारत के प्राद्योपान्त इतिहास का सिंहावलोकन करने से यही तथ्य प्रकट होता है कि जब तक भारत में अहिंसा के महान् सिद्धान्तों का प्राधान्य, प्राबल्य अथवा प्रभुत्व रहा तब तक सम्पूर्ण देश में सहअस्तित्व, समानता, सौहार्द सहिष्णुता और सर्वतोमुखी सद्भावना का साम्राज्य रहा। अहिंसा के प्राधारभूतमूलभूत इन सहअस्तित्व आदि मानवीय गुणों का जब तक भारतीयों के जीवन में प्राचुर्य रहा तब तक भारत समृद्ध-सम्पन्न, सशक्त एवं समुन्नत बना रहा। अहिंसा के अनन्य उपासक शिशुनागवंशी उदायी, नन्दीवर्द्धन, मौर्यसम्राट चन्द्रगुप्त, बिन्दुसार, अशोक एवं सम्प्रति के शासनकाल में किसी विदेशी शक्ति को भारत की पोर मांख उठा कर देखने का भी साहस नहीं होता था। देश धन-धान्य से सम्पन्न और देशवासी सब तरह से सुखी थे।
नगरों का प्रबन्ध नगरपरिषदों, एवं ग्रामों का प्रबन्ध ग्राम-सभामों के माध्यम से किया जाता था। उद्योगधन्धों को संस्थापित कर समुन्नत बनाना, क्रय-विक्रय पर नियन्त्रण, मतिथियों का स्वागतसत्कार के पश्चात् प्रतिथिगृहों में ठहराने का प्रबन्ध करना, जन-चिकित्सा और पशुचिकित्सा का समुचित प्रबन्ध करना, कर एकत्रित करता प्रादि जनहित के सभी कार्य समुचित रूप से नगरपरिषदों और ग्रामसभामों की देखरेख में सम्पन्न किये जाते थे। कृषि उन्नति के लिये राज्य की मोर से विशिष्ट प्रबन्ध किये जाते थे। सिंचाई की यथासंभव पूरे देश में समुचित व्यवस्था की जाती थी। कृषि कार्यों को उत्तरोत्तर समुन्नत बनाने तथा बांधों के निर्माण के लिये एक परिषद का निर्माण किया जाता था। नई सड़कों के निर्माण, पुरानी सड़कों के सुधार एवं मार्गों में यात्रियों की सुरक्षा की देख-रेख आदि कार्य एक विभाग किया करता था।
देश की सुरक्षा के लिये नवीनतम शस्त्रास्त्रों से लैस-तैस सशक्त एवं विशाल सेना सदा सन्नद्ध रखी जाती थी। सेना की देख-रेसका कार्य एक समरपरिसद सम्हालती थी। पदातिसेना, अश्वारोही सेना, रथ-सेना, हस्ति-सेना और नौसेना
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