Book Title: Jain Dharma ka Maulik Itihas Part 2
Author(s): Hastimal Maharaj
Publisher: Jain Itihas Samiti Jaipur

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Page 978
________________ ८४ कर्मग्रन्थ भा० १ देवेन्द्र सूरि, कन्हैयालाल Cambridge History of India मालचन्द भटेवरा रतलाम, गण्याचार पइण्णा, दान विजय गणी, प्र. वि.सं. २०३० दयाल विमलजी प्रन्यमाला, अहमदाबाद गणपरबाद, सं० मुनि रत्नप्रम विजयजी कल्प सूत्र - देवेन्द्र मुनि द्वारा सम्पादित गर्ग संहिता अदित, गाथा सप्तशती-हालरचित (काव्य माला कल्प सूत्र - पुष्य विजयजी द्वारा सम्पादित २१ में) निर्णयसागर प्रेस, बम्बई, - (मुजराती). • सन् १९३३ .कल्पान्तर्वाच्यानि (हस्तलिखित) अलवर । गार्गी संहिता युग पुराण प्रकरण भण्डार के सौजन्य से प्राप्त कलिंग पक्रवर्ती महामेषवाहन खारवेल के गुर्वावली - सुन्दरसूरिकृत “शिलालेख का विवरण, श्री के० पी० गौतम परित्र, भट्टारक धर्मचन्द्रकृत, जायसवाल, काशी नांगरी प्रचारिणी पं० हीरालालजी शास्त्री, ब्यावर नशियां सभा की भोर से-इण्डियन प्रेस लि. से प्राप्त प्रयाग, सन् १९२८ घउवन्न महापुरिसरियं, शीलांकाचार्य, प्राकृत कसाय पाहुर पूणि सहित, भारतीय दि० जैन टेक्स्ट सोसायटी, वाराणसी ५ संब, पौरासी, मधुरा चन्द्र का मेहरीली का लोह स्तम्भ लेख कहावती-भद्रेश्वरसूरि (हस्तलिखित), चन्द्रगुप्त मौर्य और उसका काल, पं. बससुख भाई मालवणिया, संचालक, लाल भाई दलपत भाई, भारतीय संस्कृति राधा कुमुद मुकर्जी, राजकमल प्रकाशन विद्या मन्दिर, महमदाबाद के सौजन्य से चुल्लवग्ग कहोम का स्तम्भलेख छान्दोग्योपनिषद् (शांकर भाष्य सहित) कारपस इन्स्क्रिप्शनं इन्डिकेरम्, भाग ३ . प्र. गीताप्रेस गोरखपुर कालकाचार्य कथा, प्रकाशक-श्री साराभाई ज्योतिविदाभरण नवाब, अहमदाबाद ज्योतिष्करण्डक टीका काम्य मीमांसा-राजशेखर काष्ठा संघस्य गुर्वावली, हस्तलिखित, जम्बू चरियं, गुणपाल, सं०मा० जिनविजयजी पं० दरबारीलालजी कोठिया, न्यायाचार्य प्र. सिंघी जैन शास्त्र शिक्षापीठ, भारतीय दुमराव कोलोनी, वाराणसी से प्राप्त । . विद्या भवन, बम्बई ७ जम्बू स्वामि चरित्र, रत्नप्रभ सूरि कुन्दकुन्द प्रामृत संबह, सम्पादक पं. कसाशचन्द्र, प्रकाशक-जैन संस्कृति जम्बू स्वामि चरितम्, पं० राजमल्ल रचित संरक्षक संघ शोलापुर, १९६.. . जावू सामि चरिउ, वीर रचित, सं. कुवलय माला-उबोतन सूरि (दाक्षिण्यॉ . विमलप्रसाद जैन चिन्ह) सिंधी सिरीज जरनल प्रॉफ दी बिहार एण्ड उड़ीसा रिपर्च मिति प्रकरणम्-शाकटायन, जैन सोसायटी, दिसम्बर. १९१६, वोल्यूम ५ साहित्य संशोधक, सं० २ अंक ४ भाग ४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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