Book Title: Jain Dharma ka Maulik Itihas Part 2
Author(s): Hastimal Maharaj
Publisher: Jain Itihas Samiti Jaipur

View full book text
Previous | Next

Page 980
________________ .. मायाषम्म कहामो, पागमोदय समिति द्वारा पट्टावली समुच्चय, मनि दर्शन विजयजी, काशित, सन् १९१९ प्र. श्री चरित्र स्मारक प्रन्यमाला, . निरयावलिया सूत्र भाषा टीका, राय धनपत वीरमगाव (गुजरात) - सिंह, . १९४५ पत्रवणा-मुनि श्री पुण्यविजयनी व निनीय पूज्य घासीलालजी महाराज द्वारा पं. दलसुख मालवरिणवा द्वारा सम्पादित अनूदित पनवणा सूत्र वृत्ति, प्र. रायवहादुर धनपतसिंह निशीष सूत्र-भाष्य, विसाहगणि, विशेष Prof. Hultzsch. corp. Inser. Indic. बूगि-जिनदास महत्तर, सं० कविं Pt. 1. Pref. xxxiii Problems of Shaka & Satvahana - अमरचन्दजी, मुनि कन्हैयालालजी कमल, History, Journal of the Bihar & सन्मति ज्ञानपीठ, प्रागरा Orissa Research Society, 1930 नीतिसार परिशिष्ट पर्व-प्राचार्य हेमचन्द्र रचित पंचकल्प पूणि-हस्तलिखित पंचकल्प भाष्य-संघदास गणि वोध प्राभृत-श्रुत सागरी टीका पंचास्तिकाय प्राभृत जयसेनाचार्यकृत तात्पर्य भगवती पाराधना की विजयोदया टीका, वृत्ति अपराजित (यापनीय) रचित, प्र. प्रजापना सूत्र-हारिभद्रीया वृत्ति देवेन्द्रकीति दि. जन अन्धमाला, कारंजा प्रबन्धकोश राजशेखर सूरि रचित, सं० भगवदी आराहणा-शिवार्य (यापनीय), जिनविजयजी, प्रकाशक-सिंधी जैन ज्ञान प्र. देवेन्द्र. दि. जैन ग्रन्थमाला, कारंजा पीठ, शान्ति निकेतन भगवती सूत्र-प्र. टी.-पूज्य घासीलालजी म., प्रभावक चरित्र, प्राचार्य प्रभाचन्द्र, सिंघी जैन प्रकाशक-भा. श्वे. स्था. जैन शास्त्रोद्धार अन्यमाला, सन् १९२७ समिति राजकोट, १९६१ प्रभावती गुप्ता का पूना का दानपत्र भगवती सूत्र-प्र० श्री घेवरचन्दजी वांठिया,. प्रवचनसार, ए. एन. उपाध्ये द्वारा सम्पादित । प्र०-जैन संस्कृति रक्षक संघ, सलाना भगवान पार्श्वनाथ की परम्परा का इतिहास, Introductory by A. N. Upadhye on पूर्वार्द्ध मुनि ज्ञान सुन्दरजी, प्र०-श्री रत्न . Pravachanasara . प्रभाकर ज्ञान पुष्पमाला फलौदी प्रवचन सारोदार, नेमिचन्द्र सूरि रचित, (मारवाड़) सन् १९४३ प्रकाशक-देवचन्द लालभाई पुस्तकोदार भद्रबाहु चरित्र-रत्ननन्दिकृत समिति, बम्बई सन् १९२२, १९२६ भविष्य पुराण प्रश्न व्याकरण सूत्र-अनु० ५० घेवरचन्द __ भाव प्राभूत-श्रुतसागरी टीका बांठिया, प्र. अगरचन्द भैरौंदान सेठिया, . साठया, भाव संग्रह-प्रा. देवसेन (विमलसेन के बीकानेर शिष्य), दर्शनसार के कर्ता से भिन्न प्रश्न व्याकरण वृत्ति, मभयदेव सूरिकृता, प्र० राय बहादुर पनपतसिंह . . मत्स्य पुराण-प्र० नन्दलाल मोर, ५ क्लाइम प्राचीन भारतीय अभिलेखों का अध्ययन __रोड, कलकत्ता १, सन् १९५४ ___ सटीक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 978 979 980 981 982 983 984