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भ्रम का निराकरण] दशपूर्वधर-काल : मायं श्यामाचार्य
५०१ उत्तरी सीमा पर सीथियन लोग आये दिन उत्पात एवं लूटपाट करते रहते थे। कास्पियन सागर का निकटवर्ती प्रदेश उन लोगों का शरणस्थल था, जो बड़ा ही विकट तथा अगम्य था।
ईरान के तत्कालीन सम्राट डेरियस ने सीथियनों का दमन करने के लिये उनके गढ़ पर ही आक्रमण की योजना तैयार की। डेरियस की सेना ने ज्योंही केस्पियन सागर के निकटवर्ती क्षेत्र की ओर बढ़ने के लिये यूनान की सीमा में प्रवेश किया तो यूनानियों ने इसे अपनी प्रभुसत्ता पर भयंकर प्राघात मानते हुए. डेरियस की सेनाओं का प्रतिरोध किया। डेरियस की सेनाएं प्रतिरोध को कुचल कर आगे बढ़ गईं। सीथियनों ने डेरियस की सेनामों को अपनी गुरिल्ला रणनीति से बुरी तरह परेशान किया। अन्ततोगत्वा ईरान की सेनाओं को बाध्य होकर . लौटना पड़ा। डेरियस ने और उसकी मृत्यु के उपरान्त उसके पुत्र क्षयार्ष ने क्रमशः दो बार यूनान पर भीषण आक्रमण किये पर उन दोनों युद्धों में ईरानी सेनाओं को बड़ी भारी हानि के साथ पराजय का मुंह देखना पड़ा।
इन दो बड़े युद्धों के कारण यूनानियों के मनों में ईरानियों के प्रात प्रगाढ़ शत्रुता के भाव प्रवृद्ध हो चुके थे। प्रत्येक यूनानी ईरान से प्रतिशोध लेने के लिये पातुर हो रहा था। मेसीडोनियां के शासक फिलिप ने ईरान से प्रतिशोध लेने का बीड़ा उठाया। यूनानियों ने प्रारम्भिक प्रतिरोध के पश्चात् अन्ततोगत्वा फिलिप का नेतृत्व स्वीकार कर लिया। फिलिप ईरान पर आक्रमण करने की पूरी तैयारी कर चुका था, उस समय उसकी हत्या कर दी गई। फिलिप का पुत्र सिकन्दर उसका उत्तराधिकारी बना। राज्यासीन होने के दो वर्ष पश्चात् ईसा पूर्व ३३४ में सिकन्दर ने ईरान पर प्राक्रमण कर दिया। उस समय सिकन्दर की आयु २२ वर्ष थी। ईरान के ईसस क्षेत्र में ईरानी सेनाओं ने सिकन्दर की सेना के साथ तुमुल युद्ध किया। ईरान का सम्राट डेरियस तृतीय, जो कि बड़ा ही विलासप्रिय सम्राट् था, अपनी माता तथा स्त्रियों को रणक्षेत्र में ही छोड़ कर भाग खड़ा हुआ। सिकन्दर के भाग्य ने उसका साथ दिया और ईरानियों के साथ इस प्रथम युद्ध में उसे आशातीत सफलता के साथ विजयश्री ने वरण किया। सिकन्दर ने ईसस विजय के पश्चात् मिस्र पर आक्रमण किया। मिस्री जनता ईरानियों की दीर्घकालीन दासता से मुक्त होना चाहती थी, अतः मिस्र में सिकन्दर को प्रतिरोध के स्थान पर सर्वतोमुखी स्वागत प्राप्त हुआ।
मिस्र विजय से सिकन्दर की महात्वाकांक्षाएं जागृत हुईं। मिस्र के धर्माध्यक्षों ने सिकन्दर को यूनानी देवता ज्यूस का पुत्र बता कर उसे अलौकिक सम्मान से विभूषित किया। मिस्रवासियों द्वारा प्रदत्त इस सम्मान से सिकन्दर वास्तव में अपने पापको महान् देवता ज्यूस का पुत्र समझने लगा। उसने तत्काल पुनः ईरान पर आक्रमण किया। डरपोक ईरानी सम्राट् डेरियस के नेतृत्व में ईरानी सेना ने अरवेला में यूनानी सेना के साथ युद्ध किया पर ईरानियों को भीषण पराजय का मुंह देखना पड़ा । डेरियस परवेला के युद्ध में भी रणभूमि से
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