Book Title: Jain Dharma ka Maulik Itihas Part 2
Author(s): Hastimal Maharaj
Publisher: Jain Itihas Samiti Jaipur
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सिन्धुप्रदेश - ३४२, ५१२, ५४१, ६०६, स्यालकोट - ६२८ ६१२, ६२८, ६२६
स्वर्णगिरि- ६३३ सिंहपुर - ४५०
स्वर्णभूमि -५२२ सिंहल-६६१ सुग्राम - १८८, १९१ . सुदर्शन झील-६९७
हंसदीप- २३७, १३८ सेसदविया (उदक्शाल)- ११३ हर्षपुर-५०७ सोन नदी -२६३
हस्तिनापुर - २३५, २४६ सोनपुर - ६६०
हाषिगुंफा ४८३, ४८६, ४८८, ४८६, ४६१, सोपारक नगर-५८३, ६२०, ६२३, ६३१, ४६७ ७६७, ७६८
हाल-६.४ सोरठप्रदेश - ३३७, ३४०,
हिन्दुकुश-४१८ सौराष्ट्र - ६०४ ६०७, ६११, ६१५, ६२७, हिमालय -४६
६२६, ६६८, ६७१, ६७६, ६६६ हुविष्क- ६३७, ६३०. .
(ग) सूत्र, प्रत्यादि
अनुत्तरोववाइय दशा .1 ७०, १५४, अंगचूलिया (श्रुत) - ६८८
मनुत्तरोववाइय दशामो - ६८७ अंगपण्णत्ति - ७३, ६१, ६५, ११०, १५४- अनुयोग द्वार - ७३, १७८, ६८६, ७६२ १५७, १८४, २३५, ३२६, ३५७, अनुयोग द्वार सूत्र 1 ५५२, ६३२, ६७८,
अणुयोग दाराई । ६८७ अंगसप्तिक ग्रंथ - ४८४
अनुषङ्गपाद - ६५८ अंगुत्तरनिकाय - १२०
अनेकाक्षरी - ५५६ अंतगडदसाण -७०
अपापावृहत्कल्प - ५२० अंतयडदसा - ७३. अंतकृत्दशा - १५२, १५४, १५६, १७४,
अपृथक्त्वानुयोग याचना - ५६५ १७८
अभिधानचिन्तामरिण - १०६ अंतकृत दशांग - ६८८
अभिधान राजेन्द्र - ५१३ अंतगड सूत्र - १५३, ६८७
अमोघवृति - ६१७ प्रनायरणी पूर्व-२६
अवग्रहैषणा नामक अध्ययन - १० अग्रायणीय पूर्व -- १६७, १७५
प्रबन्ध्यपूर्व - १६८, १७५ अथर्व वेद - ७, ४६
अवचूरि - ३७८. अधर्म द्वार - १५८
अशोकावदान - २७४ अधर्म-स्थान - १६०
अष्टांगधर - ७२६ अनगार-प्राभूत टीका - ६१७ अनुतरोपपातिक दशांग - ६८८
अष्टांगनिमित्त - ७३८ अनुत्तरोपपातिक सूत्र - ७०, ७३, १५४, प्रस्तिनास्तिप्रवाद पूर्व - २६, १७, १७५ • १५५, १७४, १७८
प्रहरोरा के शिलालेख - ४५०
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