Book Title: Jain Dharma ka Maulik Itihas Part 2
Author(s): Hastimal Maharaj
Publisher: Jain Itihas Samiti Jaipur
View full book text
________________
१. शब्दानुक्रमणिका (क) तीर्थकर, प्राचार्य मुनि, राजा, श्रावकादि
अनु - ४८ अंगभूपण - ४२
अनुरुद्ध – २७४, अंगारकारक - २१८
अनिका - २५७, २५८ अंजु श्री - १६५
अनिकापुत्र - २५७, २५८, २५६, २६०, अंतहुंडी देवी - १७०
२६१, २६२ अंतिकिनी राजा - ४३६
अपराजित - १८४, २६१, ३१५, ३२३, अतियोक राजा - ४३६
३५८, ५८६, ६१७, ७३०, ७३१, अकपित - ६, २४, २७, ३२, ५८, १२७
७३६, ७४६ अकलंक देव - ७१, १३१, १५४
अबुलहमन -- ६७०
अभंगसेन चोर - १६५ अग्निकुमार - १३४ अग्निदत्त - ३८०
अभयचन्द्रदेव - ७५३ अग्निभूति - ७, ६. १३, २४, २७, ४०,
अभयदेव सूरि - ७५, ६३, ६४, ६५, १०१,
१०७, १२०, १२६, १३०, १३१, ४३, ५३, ५८, ६०, १२५, १२६
१४२, १५७, १५८, १७० अग्निमित्र - १५१, ४६०, ४६२, ४६७,
अभयभद्र - ७३२
अभयसार प्राचार्य - १६६ प्रचल-७५२ । अचल भ्राता -६, २४, २७, ३२, ५८, १२७
अभिनव पंडित - ७५३
अभिनव श्रुतमुनि - ७५३ प्रचलराम :- १२७ अच्युत - ६६०
अभीचिकुमार - १३३ अच्युत नन्दी-६६१
अमित सेन - ७४२, ७५० अजय सेना - ७७७
अमित्रघात -४४८ प्रजात शत्रु -- २४६, २५०, २५, २५५,
अमित्र चेटम - ४४८ २७४, २७५
अमोघ वर्ष -६७० अजितनाथ - १२४, १२७
अमनचन्द्र - ७१७, ७५८, ७५६, ७६७ प्रजितमेन - २८१, २८२,
अम्बडं परिव्राजक - १३३ अजीतसिंह - ६४५
परगणक श्रावक - १४६ प्रतिमुक्तकुमार - १५४
अरनाथ -५०६ अनंगसेना - ५४०
अरिदमन - ६७६ अनंतदेवी-६६६
अरिष्टकरणं - ६०४ अनंतनाथ - १२६
अरिष्टनेमि – १२५, ६६७, ७७० अनाधृतदेव - २०१, २०५, २०६, २२१, परिष्टोबुलम - ४२० २२२, २२७,
अर्जुनमाली - १५४
४६८
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 931 932 933 934 935 936 937 938 939 940 941 942 943 944 945 946 947 948 949 950 951 952 953 954 955 956 957 958 959 960 961 962 963 964 965 966 967 968 969 970 971 972 973 974 975 976 977 978 979 980 981 982 983 984