Book Title: Jain Dharma ka Maulik Itihas Part 2
Author(s): Hastimal Maharaj
Publisher: Jain Itihas Samiti Jaipur
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६३६ -
शशि गुप्त ५०२
शीलांकाचार्य - ७५, ७६, ८३, १२, १०७, शांडिल्य - २७, ४२, ४३, ३८१, ४७१,
१७५, १७६, ३६२
शीलाचार्य - ८२ ४७४, ७१८ शान्ति- १७०, ३३७: ३३८, ३३६, ३४०,
शुक-१४४ ३४१, ३६२, ३६४, ३६६, ३६७,
शुकदेव - १४५
शुभशीलगणी - ५४१ शान्तिनाथ - १२६,१२७, ५०६, ६६७
शेष-६३७ शान्ति श्रेणिक - ४६५, ५८२
शोभनराय - २८६, ४८३, ४०४, ४८७,
४८८ शान्ति सूरि - ३६१, ६७६, ६८०
श्याम-३८१ शान्ति सेन - ७४०
श्यामाचार्य- ४६४, ४७१, ४७३, ४७५, . शाकटायन - ६१७
४९४,४६५, ४९६, ५०८, ७०७, शान्टियर-५४८
७०८, ७१२, ७१४, ७१५, ७१६, शालिवाहन - ५५०, ६०३, ६०४, ६३०
७१७,७१८, ७१९, ७२०, ७२१, शालिशूक - ४७६, ४८१
७२२, ७२३ शाहानुशाहि - ६६१
श्यामा - १६५ शिव - ६३६
श्रमणदत्त - २०६ शिवकुमार -६६, १९५, १९७, १९८, श्रीकलश-६१६ १६६, २४१, ७५७, ७५६, ७६०, श्रीगुप्त - ३८१, ४६५, ४७३, ५६१, ५६२,
५६३, ५६५, ६४१, ६४२, ६४७, शिवकोटि - ६२७, ७५३
६६८, ६६९ शिवगुप्त -७४१, ७४८, ७५०
श्रीदत्त -७१०,७३७,७३६, ७४१ शिवदत्त -७१०, ७३७, ७३६, ७४१
श्रीपाठक-७६७ शिवनन्दी-६३७ .
श्रीमंदर-७५६, ७७६ शिवभूति - ४७४, ६०६, ६१०, १२०
श्रीमती-५४० शिवमृगेशवर्म-७५७, ७६७
श्रीराम - ५३६ शिवराज- १३३
श्रीयक- ३८४, ३९०, ३६१, ३९२, ३६३, शिवश्री-६०४
३९५, ४०२, ४१०, ४१७, ७७८,
७७६ शिवस्कन्द -६०४, ७५७, ७६१, ७६०,
श्रीषेण - २४६ शिव स्वाति-६०४ शिवायं-६१७
श्रुतकीति-७५३ शिशुक-५६२
श्रुतदेवता- १७० शिशुनन्दी-६३७
श्रुतदेवी-१४२ शिशुनाक - २५३, २५४
श्रुतमुनि-७५३
श्रेणिक-४१, १४, १५५, १८८, २००, शिशुनाव-२५१, २५२, २५४
२०१, २०२, २०४, २२५, २२६, शिशुपाल-२५२
२२७, २३५, २३७, २३८, २४०, शीतलनाप- १२६, १२७
२४६, २७, २४६, २५०, २५१, खीमगरणसरि- ६२७
.२५३, २५४, २६५, २७५ -
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