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सामान्य पूर्वघर-काल : प्रार्य नागार्जुन
६५६ आर्य नागार्जुन के समय के राजवंश
गुप्त सम्राट् समुद्रगुप्त पराक्रमांक यह पहले बताया जा चुका है कि परम भट्टारक महाराजाधिराज चन्द्रगुप्त (प्रथम) ने अपने जीवन के संध्याकाल में अपने कनिष्ठ पुत्र समुद्रगुप्त को सर्वतः सुयोग्य समझकर अपना उत्तराधिकारी घोषित किया।' चन्द्रगुप्त प्रथम की मृत्यु के पश्चात् गृहकलह का बड़े साहस के साथ दमन कर वीर नि० सं० ८६२ तदनुसार ई० सन् ३३५ में समुद्रगुप्त मगध के राज्यसिंहासन पर आसीन हुआ । वामन ने अपने 'काव्यालंकार' नामक ग्रन्थ में चन्द्रगुप्त के पुत्र का नाम चन्द्रप्रकाश उल्लिखित किया है। इससे अनुमान किया जाता है कि संभवतः समुद्रगुप्त का दूसरा नाम चन्द्रप्रकाश हो और समुद्र तक अपने राज्य का विस्तार करने के पश्चात अपने राज्य की सीमाओं के समुद्र द्वारा सुरक्षित होने के अर्थ को द्योतित करने के लिये उसने अपना नाम 'समुद्रगुप्त' रखा हो।
____ इलाहाबाद के स्तम्भलेख में समुद्रगुप्त द्वारा दिग्विजय में विजित राजामों, उनके राज्यों, गणराज्यों एवं तत्कालीन अनेक घटनामों का उल्लेख है। कौशाम्बी में जिस स्तम्भ पर अशोक ने अपना अभिलेख उत्कीर्ण करवाया, उसी स्तम्भ पर नीचे की ओर समुद्रगुप्त का यह अभिलेख उसके सांधिविग्रहिक कवि हरिषेण ने सुन्दर गद्यपद्यमयी संस्कृत भाषा में अंकित करवाया। सांधिविग्रहिक पद के साथ साथ हरिषेण कुमारामात्य और महादण्डनायक के पदों पर भी कार्य करता था।'
ऐतिहासिक दृष्टि से इलाहाबाद का यह स्तम्भलेख बड़ा ही महत्त्वपूर्ण अभिलेख है। इससे भारत की तात्कालिक भौगोलिक एवं राजनैतिक स्थिति के साथ-साथ उस समय के राजाओं, राज्यों की सीमाओं, गणराज्यों आदि का विशद परिचय मिलता है। इस स्तम्भलेख का आज के शोधयुग की दृष्टि से सबसे बड़ा दोष यह है कि इसमें अंकित घटनाचक्र की एक भी तिथि का उल्लेख नहीं किया गया है। यदि इसमें समुद्रगुप्त के विजयोल्लेखों के साथ साथ तिथियां भी उम्र कित की जाती तो यह स्तम्भलेख ऐतिहासिक दृष्टि से सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण होता और इससे उलझी हुई अनेक ऐतिहासिक गुत्थियों को सुलझाने में बड़ी सहायता मिलती। इस कमी के रहते हुए भी इस स्तम्भलेख का बहुत बड़ा ऐतिहासिक महत्त्व है। १ ऋद्धपुर के शिलालेख में उत्कीर्ण- "तत्पादपरिगृहीत" पद से भी इलाहाबाद के स्तंभलेख में उट्ट कित इस बात की पुष्टि होती है कि चन्द्रगुप्त प्रथम ने अपने बड़े पुत्रों से समुद्रगुप्त
को अधिक सुयोग्य समझकर उसे अपना उतराधिकारी घोषित किया। [सम्पादक] २ एतच्च काव्यमेषामेव भट्टारक पदानां दासस्य ... महादण्डनायकध्र वभूतिपुत्रस्य साधिविग्रहिककुमारामात्यमहादण्डनायक हरिषेणस्य सर्वभूतहितायास्तु ।
[अशोक स्तम्भ के अधोभाग पर अंकित समुद्रगुप्त का
___ इलाहाबाद स्थित स्तम्भलेख]
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