Book Title: Jain Dharma ka Maulik Itihas Part 2
Author(s): Hastimal Maharaj
Publisher: Jain Itihas Samiti Jaipur

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Page 929
________________ साध्वी-परम्परा ] सामान्य पूर्वघर - काल : देवद्ध क्षमाश्रमरण ७६६ "शमा महफिल देख ले, यह घर का घर परवाना है ।" यह उक्ति ईश्वरी के परिवार पर अक्षरशः घटित होती है । घर का घर प्रव्रजित हों जीवन भर अध्यात्म-ज्योति का परमोपासक बना रहा । श्राज जो चन्द्र गच्छ, नागेन्द्र कुल, निर्वृत्ति कुल और विद्याधर कुल ये चारं गच्छ प्रथवा कुल श्वेताम्बर परम्परा में प्रसिद्ध हैं, वे उन महामहिमामयी साधिका ईश्वरी के महान् प्रभावक पुत्रों के नाम पर ही प्रचलित हुए थे । - साध्वी ईश्वरी का जीवन वस्तुतः साधक एवं साधिकाओं के लिये बड़ा ही'प्रेरणाप्रदायी है । वह मानव मात्र को निरन्तर यही प्रेरणा देता रहता है कि. श्रो मानव ! दुःख की थपेड़ खा कर सम्हल जा, उसी क्षरण से ऐसे प्रयास में जुट जा, जिससे तुझे फिर कभी दुःख का दिन देखना ही न पड़े । महती प्रभाविका साध्वी ईश्वरी के पश्चात् देवद्धि क्षमाश्रमरण के काल तक साध्वियों का परिचय उपलब्ध न होने के कारण यहां नहीं दिया जा रहा है 1 उपसंहार प्रस्तुत ग्रन्थ में वीर निः सं. १ से लेकर १००० तक का जैन धर्म का इतिहास दिया गया है जिसमें १००० वर्ष की अवधि में हुए प्राचार्यो, प्रमुख साधु-साध्वियों महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाओं, राजवंशों, राज्य परिवर्तनों प्रादि का यथाशक्य प्रामाणिक विवरण देने का प्रयास किया गया है । वीर नि. सं. १००० के पश्चाद्वर्ती काल का इतिहास आगे के भागों में दिया जायगा । ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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