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साध्वी-परम्परा] सामान्य पूर्वधर-काल : देवद्धि क्षमाश्रमण
सामान्य पूवषर-काल : अपने पुत्र के समान लालन-पालन किया था), जहां भगवान् थे, माई, प्राकर भगवान् को अभिवादन किया। अभिवादन कर एक ओर बैठ गई। वह भगवान् से बोलीभन्ते ? मैं नारी, प्रगार धर्म से अनगार धर्म में आकर तथागत-प्रवेदित धर्म-विनयदीक्षा पाना चाहती हूँ। भगवान् बुद्ध ने कहा - गौतमी ! तुम्हारी (नारी की) तथागत-प्रवेदित धर्म-विनय-भिक्षु धर्म में रुचि न हो, यही अच्छा है। महाप्रजापति ने तीन बार प्रावेदन किया और भगवान् बुद्ध ने तीनों ही बार अस्वीकार किया।
भगवान् नारी को तथागत-प्रवेदित धर्म में दीक्षित नहीं करते हैं, यह देख गौतमी दुःखी दुर्मन और अश्रुमुखी होती हुई, रोती हुई भगवान् को अभिवादन कर प्रदक्षिणा कर लौट गई।
__ कपिल वस्तु से विहार करते हुए भगवान् वैशाली प्राये, महावन स्थित कूटागार शाला में टिके । तब महाप्रजापति गौतमी केशच्छेदन कर, काषाय वस्त्र पहन, बहुत सी शाक्य महिलाओं के साथ वैशाली प्राई। वह महावन में स्थित कूटागार-शाला की ओर चली। उसके नंगे पैर धूल के करणों से भरे थे। दुःखी, दुर्मन, प्रश्रमुखी गौतमी बाहरी द्वार पर ठहरी । प्रायुष्मान् मानन्द ने महाप्रजापति गौतमी को इस स्थिति में देखा। देख कर पूछा - यह सब क्यों ? गौतमी बोलीभन्ते प्रानन्द ! भगवान् नारी को तथागत-प्रवेदित धर्म-विनय में पाने की अनुशा नहीं, देते हैं। प्रानन्द ने कहा - मुहूर्त भर तुम यहीं ठहरो, मैं भगवान् से इस सम्बन्ध में याचना कर पाऊँ। .
प्रायुष्मान् प्रानन्द भगवान् के पास पाया, अभिवादन कर एक अोर बैठा, भगवान् से निवेदन किया - महाप्रजापति गौतमी, भगवान् नारी को दीक्षित नहीं करते, यह देख दुःखी, दुर्मन और आंसू गिराती हुई बाहरी द्वार पर बैठी है, उसके नंगे पैर धूल से भरे हैं । भगवन् ! अच्छा हो, नारी तथागत-प्रवेदित विनय-धर्म में दीक्षा पा सके । भगवान् ने कहा- नहीं प्रानन्द ! नारी को तथागत-प्रवेदित धर्मविनय में दीक्षित किया जाय, ऐसी रुचि तुम्हारी नहीं होनी चाहिए। मानन्द ने दूसरी बार और तीसरी बार भी निवेदन किया और भगवान् ने निषेध ।
तब प्रानन्द ने देखा, यों तो भगवान् नारी को दीक्षित होने को अनुशा नहीं दे रहे हैं, दूसरी विधि से उनसे कहूं । तब प्रायुष्मान् प्रानन्द ने भगवान से निवेदन किया - भगवन् ! क्या नारी अगार जीवन से अनगार जीवन में प्रा, तथा'गत-प्रवेदित धर्म-विनय में प्रवजित हो, स्रोतापत्रफल, सकृदागारि-फल, अनागारिफल और अर्हत्-फल का साक्षात्कार कर सकती है ? भगवान ने कहा- ऐसा हो सकता है। तब आनन्द बोला- भगवन् ! यदि ऐसा है तो महाप्रजापति गौतमी, जिसका हम पर बहुत उपकार है, जो भगवान् की मौसी है, जिसने भगवान् का पोषण किया, दूध पिलाया, भगवान् की जननी के काल कर जाने पर भगवान को स्तनपान कराया, अच्छा हो, तथागत-प्रवेदित धर्म-विनय में दीक्षा-लाभ कर सके।
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