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साम्बी-परम्परा] सामान्य पूर्वधर-काल : देवद्धि समाश्रमण
मार्या चन्दनबाला के अनुपम उदात्त जीवन से मुमुक्षु साधक सदा प्रेरणा लेते रहेंगे। महासती चन्दनबाला ने भगवान् महावार से पूर्व निर्वाण प्राप्त किया अथवा पश्चात्, इस सम्बन्ध में कोई उल्लेख अभी तक प्रकाश में नहीं पाया है; प्रतः इस विषय में खोज की प्रावश्यकता है । प्राशा है शोषप्रिय विद्वान् इस दिशा में प्रयास करेंगे।
२. मार्या सुव्रता एवं धारिणी मावि
(वीर निर्वाण सं०') प्रभु महावीर के प्रथम पट्टधर प्रार्य सुधर्मा के प्राचार्यकाल में महासती सुव्रता का उल्लेख मिलता है पर उनका कोई विशेष परिचय उपलब्ध नहीं होता। मार्या सुव्रता प्रवर्तिनी चन्दनबाला की माज्ञानुवर्तिनी स्थविरा थी अथवा प्रार्य सुधर्मा के श्रमणी-संघ की प्रवर्तिनी, यदि वे प्रवर्तिनी थीं तो 'किस समय से किस समय तक प्रवर्तिनी रहीं.- इस सम्बन्ध में कहीं कोई उल्लेख दृष्टिगोचर नहीं होता।
वीर नि० सं० १ में जब राजगही में प्रार्य सुधर्मा के उपदेश से श्रेष्ठिकुमार जम्बू भवप्रपंच से विरक्त हो दीक्षित हुए उस समय १७ उच्चकुलीन महिलाओं ने भी मार्या सुव्रता की सेवा में श्रमणोधर्म की दोसा स्वीकार की। उनके नाम इस प्रकार हैं:
१. प्रार्या धारिणी (जम्बूकुमार की माता)
जम्मकी सासे:२. पप्रावती ६. कमलावती ३. कमल भाल ७. सुश्रेरणा ४. विजयश्री
८. वीरमती ५. जयश्री
६. अजयसेना . जम्मू की धर्मपत्नियाँ :१०. समुद्रश्री १३. सेना ११. पाश्री
१५. कनकश्री १२. पासेना १६. कनकवती
१३. कनकसेना १७. जयश्री' परम वैरागी जम्बूकुमार के वैराग्योत्पादक एवं युक्तिसंगत हित-मित तथ्यपूर्ण वचनों से प्रभावित होकर उन १७ महिलायों ने प्रार्या सुव्रता के पास दीक्षा ग्रहण कर जीवनपर्यन्त उत्कट भाव से विशुद्ध तप-संयम की आराधना की। '' दिगम्बर परम्परा के ग्रन्थों में जम्मूकुमार की चार पत्नियों का ही उल्लेख है। -सम्पादक
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