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प्रार्य षांडिल्य] दशपूर्वधर-काल : आर्य षांडिल्य कल्प जैसे शास्त्र को धारण करने वाले अथवा जीतव्यवहार का सम्यकरूपेण पालन करने वाले- इस प्रकार का अर्थ मानना विशेष संगत प्रतीत होता है। सम्भव है स्थविरावलीकार ने 'प्रज्जजीयधर' को एक पद मान कर इसे संज्ञावाचक माना हो पर विचारपूर्वक देखने पर ऐसा प्रतीत होता है कि "प्रज्ज" शब्द "सांडिल्ल" का विशेषण है और छान्दसत्वात् "प्रज्जं" के स्थान पर “अज्ज" रखा गया है। इतिहास के विशेषज्ञ इस पर विशेष प्रकाश डालें।
"प्रभावक चरित्र" में उपलब्ध उल्लेख से ऐसा अनमान किया जाता है कि प्राचार्य वृद्धवादी इन्हीं आर्य षांडिल्य के शिष्य थे। आचार्य षांडिल्य से 'षांडिल्य गच्छ' निकला जो आगे चलकर 'चन्द्रगच्छ' में सम्मिलित हो गया।
आर्य षांडिल्य का जन्म वीर नि० सं० ३०६ में हमा। २२ वर्ष की आयु में आपने भागवती दीक्षा ग्रहण की। आप ४८ वर्ष तक सामान्य साधु-पर्याय में रहे। तदनन्तर वीर नि० सं० ३७६ में आपको वाचनाचार्य और युगप्रधानाचार्य - ये दोनों पद प्रदान किये गए। २८ वर्ष तक युगप्रधानाचार्य पद पर रहते हुए जिनशासन की सेवा कर आपने १०८ वर्ष की आयु पूर्ण कर वीर नि० सं० ४१४ में स्वर्गारोहण किया।
युगप्रधानाचार्य - यह बताया जा चुका है कि वीर नि० सं० ३७६ से ४१४ तक आर्य षांडिल्य वाचनाचार्य पद के साथ-साथ युगप्रधानाचार्य पद पर भी रहे। तदनुसार आप वाचकवंश परम्परा के १४ वें आचार्य और युगप्रधानाचार्य परंपरा के १३ वें प्राचार्य रहे। आपके जीवन का इससे अधिक विशिष्ट परिचय उपलब्ध नहीं होता।
प्रार्य दिन - गणाचार्य आर्य सुहस्ती की परम्परा में आर्य इन्द्रदिन के पश्चात् आर्य दिन गणाचार्य हुए। आप गौतम गोत्रीय ब्राह्मण थे। आपका जीवन-परिचय उपलब्ध नहीं होता।
१५. प्रार्य समुद्र -- वाचनाचार्य आर्य संडिल्ल के पश्चात् आर्य समुद्र वीर नि० सं० ४१४ में वाचनाचार्य पद पर आसीन हुए। प्राचार्य देववाचक ने नन्दी-स्थविरावली में - "तिसमूहखायकित्ति" - इस पद से यह बतलाया है कि वे आसमुद्र कीत्ति वाले थे। आगे के पदों में उनकी ज्ञानगरिमा का गुणगान करते हुए देववाचक ने कहा है - "दीवसमुद्देसु गहिय - पेयालं' – अर्थात् द्वीपों एवं समुद्रों के विषय में आप तलस्पर्शी ज्ञाता थे।
यद्यपि स्पष्ट रूप से प्रार्य समुद्र के श्रुताराधन का परिचय नहीं मिलता, तथापि देववाचक द्वारा प्रापके लिये प्रयुक्त किये गये प्रशंसात्मक विशेषणों से यह सहज ही निर्णय किया जा सकता है कि आप क्षेत्र विभाग (द्वीप-समुद्र) के
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