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६४२ . जैन धर्म का मौलिक इतिहास-द्वितीय भाग [वाकाटक राजवंश गुप्त साम्राज्य का अधिपति बना, यह प्रायः सभी इतिहासज्ञ स्वीकार करते हैं और मोटे तौर पर यही समय चन्द्रगुप्त द्वितीय के जामाता रुद्रसेन द्वितीय का भी होना चाहिए।
कवि हरिषेण द्वारा उट्ट कित करवाये गये इलाहाबाद स्थित कौशाम्बी के स्तम्भलेख से यह स्पष्ट है कि गुप्त सम्राट् समुद्रगुप्त ने रुद्रसेन प्रथम (वाकाटक महाराजा) को कौशाम्बी के युद्धक्षेत्र में पराजित किया। समुद्रगुप्त का समय ई० सन् ३३५ से ३७५ के आसपास का माना जाता है और रुद्रसेन प्रथम का समय ई० सन् ३४ से ३४८ माना गया है।'
. गुप्त सम्राट चन्द्रगुप्त द्वितीय (विक्रमादित्य) के जामाता रुद्रसेन द्वितीय के सिंहासनासीन होने का समय ई० सन् ३७५ मान लिये जाने पर पृथ्वीषेण प्रथम का समय स्वतः ही ३० सन् ३४८ से ३७५ तक का सिद्ध हो जाता है। इन तथ्यों से वाकाटक राजवंश के संस्थापक विन्ध्यशक्ति का शासनकाल ३६ वर्ष उसके पुत्र प्रवरसेन का ६० वर्ष, रुद्रसेन प्रथम का ४ वर्ष और पृथ्वीषेण प्रथम का शासनकाल २७ वर्ष का तथा इन चारों वाकाटक बंछ के राजाभों का कुल मिलाकर ई. सन् ३७५ तक १२७ वर्ष का शासनकाल सिद्ध होता है। इस प्रकार ३७५ में से १२७ घटाने पर वाकाटक राजवंश के संस्थापक विन्ध्यशक्ति के राज्यसिंहासनारूढ़ होने का समय ई० सन् २४८ प्रमाणित होता है । गुप्तवंश के संस्थापक श्री गुप्त का शासनकाल ई० सन् २४० से २८० तक का और भाराशिव राजवंश के चौथे राजा त्रयनाग का शासनकाल ई० सन् २४५ से २५० तक का अनुमानित किया जाता है। ऐसी स्थिति में विन्ध्यशक्ति गुप्तवंश के प्रथम राजा श्रीगुप्त और भाराशिव वंश के चौथे राजा प्रयनाग का समकालीन सिद्ध होता है। प्रसिद्ध इतिहासज्ञ राधाकुमुद मुकर्जी ने भी विन्ध्यशक्ति का लगभग यही समय अनुमानित किया है।
विन्ध्यशक्ति ने कांचनका (बुंदेल खण्ड) में अपनी राजधानी स्थापित की और ई० सन् २४८ से २८४ तदनुसार वीर नि० सं०७७५ से ११ तक के ३६ वर्ष के शासनकाल में अपने राज्य की सीमाओं का विस्तार किया। इसके शासनकाल का विशेष परिचय उपलब्ध नहीं होता।
वाकाटक सबाट प्रवरसेन (प्रबोर) विन्ध्यशक्ति की मृत्यु के पश्चात् वीर नि० सं० ८११ में प्रवरसेन कांचनका के राजसिंहासन पर बैठा। वीर नि० सं० ८११ से ८७१ तक के अपने ६० वर्ष
The first of these kings was Rudradeva who is ideatified with Rudrasena I Vakataka (A.D. 344-48) and wbo must bave been deprived of the eastern part of his territory between jumos & Vidios, i. e. Buodelk hand.'
(The Gupta Empire, by Radhakumud Mookerji, p. 231 Thus we may assume a period of 150 years at the least for the reigns of the four kings from. Vindhyashakti I to Viodbyasbakti II and the date A. D. 250 for the foundation of Vakataka I dynasty by Vindhyashakti.
(The Gupta Empiro, by Radbakumud Mookerfi, p. 43)
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