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मालि• शाक-संवत्सर] सामान्य पूर्वधर-काल : प्रार्य रेवती नक्षत्र
६०७ पंजाब के कतिपय क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया। शकों एवं पाथियन लोगों की तरह कुषाणों ने भी भारतीय संस्कृति और भारतीय धर्मों को अपनाया। उन लोगों ने अपने नाम तक भारतीय पद्धति के अनुरूप रखे और उनमें से प्रायः सभी ने बौद्ध, हिन्दू, शैव, जैन और भागवत धर्मों को अपना लिया। शकराज रुद्रदामा भारतीय भाषामों तथा व्याकरण एवं तर्कशास्त्र का अपने समय का एक माना हुमा विद्वान् था। उसने चन्द्रगुप्त मौर्य द्वारा निर्मित सुदर्शन झील पर बहुत बड़ी धनराशि व्यय करके उसका जीणोद्धार करवाया।
‘वीर नि० सं० ५६५ से ६०५ तक नहपान नामक एक शक महाक्षत्रप का भारत के पश्चिमी एवं अनेक दक्षिणी भागों पर शासन रहा । नहपान ने भृगुकच्छ, सौराष्ट्र, गुजरात आदि पर अपना आधिपत्य स्थापित कर प्रतिष्ठान की भोर प्रयाण किया। उस समय प्रतिष्ठान पर गौतमीपुत्र सातकरिण का शासन था। गौतमीपुत्र ने नहपान की बढ़ती हुई सेनाओं को रोका। दोनों सेनाओं के बीच बड़ा भीषण युद्ध हुमा। कड़े संघर्ष के पश्चात् गौतमीपुत्र सातकणि ने रणस्थल में नहपान को मौत के घाट उतार दिया। गौतमीपुत्र सातकणि ने भारत से शकों के शासन का अन्त कर शकारि विक्रमादित्य की उपाधि धारण की और इस विजय के उपलक्ष में उसने वीर निर्वाण संवत् ६०५ में शाक-संवत्सर की स्थापना की।
सातवाहनवंशी राजाओं में से कुछ राजापों ने प्रश्वमेध यज्ञ किये, इस प्रकार के शिलालेख उपलब्ध होते हैं। अनेक इतिहासविदों का अभिमत है कि सातवाहनवंशी राजाओं के समय में हिन्दू धर्म का उत्कर्ष हुआ। दूसरी ओर जैन ग्रन्थों में अनेक स्थलों पर इस प्रकार के उल्लेख उपलब्ध होते हैं जिनसे यह सिद्ध होता है कि सातवाहनवंशी राजामों में से कतिपय जैन थे।
शालिवाहन शाक-संवत्सर - इस पद में शाक शब्द को देखकर कतिपय साधारण लोगों को सहज ही भ्रम होना संभव है कि क्या यह संवत्सर किसी विदेशी शक राजा के द्वारा चलाया हुप्रा संवत्सर है ? वस्तुतः यहां शाक शब्द शक्ति का द्योतक है। शालिवाहन शाक-संवत्सर का शाब्दिक अर्थ है - शालिवाहन द्वारा चलाया गया शक्ति-संवत्सर । प्रायः सभी प्रामाणिक शब्दकोशों में "शाक" (क) सातवाहनोऽपि क्रमेण दक्षिणापथमनणं विधाय तापीतीरपर्यन्तं चोत्तरापथ साधयित्वा स्वकीय संवत्सरं प्रावीवृतत् ।
[प्रबन्धकोश पृ०६८] (ख) इत्यं य पणहिय छसएसु सागसंवग्छरुप्पत्ती ।।
[विचारश्रेणी (ग) श्रीवीरनिवृतेवर्ष, षड्भिः पंचोतरं शतैः ।
शाकसंवत्सरस्यैषा, प्रवृत्तिमरते ऽभवत् ।। [वही] २ (क) जनश्च समजनि । [प्रबन्धकोश, पृ० ६८]
(ख) प्रस्तुत ग्रन्थ में कालकाचार्य (द्वितीय) का प्रकरण । 3 शाक - m. power, might, help, aid. - Samvatsara - for any era · [Sanskrit-English Dictionary-by Sir Monier Williams. ]
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