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बन धर्म का मौलिक इतिहास-द्वितीय भाग [भारशिव और हुविक किये। उत्तरप्रदेश से चीनी तुर्किस्तान तक फैले कुषाणों के विशाल साम्राज्य से लोहा लेना भारशिवों की नवोदित राज्य शक्ति के लिए कोई साधारण साहसं का कार्य नहीं था। मध्यप्रदेश से बुन्देलखण्ड की राह भारशिवों ने कुषाणों के विरुद्ध अपने सैनिक अभियान द्वारा कुषाण साम्राज्य के सीमावर्ती क्षेत्रों को अपने अधिकार में करना प्रारम्भ किया। भारशिवों ने बड़े साहस और रणचातुरी से काम किया।
. इस प्रकार हुविष्क के शासनकाल में ही कुषाण-साम्राज्य का शन-शन ह्रास प्रारम्भ हो गया।
कुषाण महाराजा वाशिष्क वीर नि० सं० ६६५ में हुविष्क की मृत्यु के उपरान्त उसका पुत्र वाशिष्क कुषाणवंश के ह्रासोन्मुख साम्राज्य का अधिकारी बना। वाशिष्क ने काश्मीर में अपने पिता के नाम पर हुविष्कपुर नामक एक नगर बसाया। वाशिष्क का शासनकाल वीर नि० सं० ६६५ से ६७६ तदनुसार ई० सन् १३८ से १५२ तक रहा।
भारशियों द्वारा कुषारण-साम्राज्य पर प्रहार वाशिष्क के शासनकाल में नवनागे के नेतृत्व में भारशिव नागों ने अपने सोये हुए परम्परागत राज्य को पुनः हस्तगत करने के लिये कुषाण साम्राज्य पर बड़ी वीरता के साथ प्रवल आक्रमण किये। उत्तरप्रदेश के अनेक क्षेत्रों से कुषारण शासन की समाप्ति के पश्चात् अन्ततोगत्वा वीर नि० सं० ६७४ तदनुसार ई० सन् १४७ के प्रासपास नवनाग ने कुषाणों की दासता से कांतिपुरी के राज्य को मुक्त कर वहाँ अपना राज्य स्थापित किया।
नागवंशी प्रथम भारशिव राजा नवनाग ने कान्तिपुरी में अपना राज्य स्थापित करने के पश्चात् कुषाण-साम्राज्य को समाप्त करने के उद्देश्य से मद्रकों, यौधेयों, मालवों एवं अन्य गणतन्त्रप्रिय संघों को अपना संरक्षण प्रदान किया। भारशिवों से सामरिक सहायता प्राप्त कर वे गणतन्त्र पुनः सक्रिय हुए। नवनाग एवं मद्रक, मालव, योद्धेय आदि गरण-जातियों के प्राकस्मिक अाक्रमणों से कुपारण राज्य निरन्तर क्षीण और आकार में छोटा होता गया।
कुषाण महाराजा वासुदेव __ वीर नि० सं० ६६९ में वाशिष्क के देहावसान के पश्चात् उसका पुत्र वासुदेव कुषाण राज्य का अधिपति बना । कान्तिपुरी का राजा नवनाग भारशिव अपमे शेष जीवन काल में वासुदेव के साथ युद्धरत रहा। वीर नि० सं० ६६७ तदनुसार ई० सन् १७० के आसपास नवनाग की मृत्यु के अरान्त उसके पुत्र वीरसेन ने कांतिपुरी के राजसिंहासन पर आसीन होते ही बड़े प्रबल वेग से कुशाण साम्राज्य पर प्रहार करने प्रारम्भ किये। वीरसेन ने अनेक युद्धों में कुपागों को पराजित किया। यौधेय, मद्रक, अर्जुनायन, शिवि एवं मालव प्रादि गरगराज्यों
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