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१० की ऐति० घटनाएं] श्रुतकेवली-काल :माचार्य श्री भद्रबाहु से प्रायः तन्द राजाओं का ही प्रभूत्व रहा । प्रथम नन्द नन्दिवर्धन ने अनेक राज्यों को विजित कर मगधराज्य की सीमाओं और शक्ति में अभिवृद्धि की। नन्दिवर्धन के राज्यकाल से ही अवन्ती, कौशाम्बी और कलिंग के राजा मगध राज्य के प्राज्ञावर्ती शासक बन चुके थे।
उपकेशगच्छ उपकेशगच्छ पट्टावली आदि के अनुसार वी० नि० सं० ७० में प्राचार्य रत्नप्रभसूरि द्वारा उपकेश नगर (प्रोसियां) में चातुर्मास किये जाने और वहां के क्षत्रियों को प्रोसवाल बनाने का उल्लेख मिलता है। कहा जाता है कि पार्श्वपरम्परा के प्राचार्य स्वयंप्रभसूरि के पास विद्याधर राजा 'मणिरत्न' भिन्नमाल में वन्दन करने आया और उनका उपदेश सुन कर अपने पुत्र को राज्य सम्हला प्राचार्यश्री के पास दीक्षित हो गया। उस समय विद्याधरराज मरिणरत्न के साथ अन्य ५०० विद्याधर भी दीक्षित हो गये। दीक्षा के पश्चात् प्राचार्य स्वयंप्रभ ने उनका नाम 'रत्नप्रभ' रखा।
वीर नि० सं० ५२ में मुनि रत्नप्रभ को प्राचार्य पद प्रदान किया गया। भाचार्य रत्नप्रभ अनेक क्षेत्रों में विचरण करते हुए एक समय उपकेशनगर में पधारे।
__ उपकेश नगर के सम्बन्ध में उपकेशगच्छ पट्टावली में उल्लेख है कि भिन्नमाल के राजा भीमसेन के पुत्र पुंज का राजकुमार उत्पलकुमार किसी कारणवश अपने पिता से रुष्ट हो कर क्षत्रिय मंत्री के पुत्र ऊहड़ के साथ 'भिन्नमाल' से निकल पड़ा। राजकुमार और मन्त्रिपुत्र ने एक नवीन नगर बसाने का विचार किया और अन्ततोगत्वा १२ योजन लम्बे-चौड़े क्षेत्र में उपकेशनगर बसाया। नये बसाये गये उपकेश नगर में भिन्नमाल के १८०० व्यापारी, ६०० ब्राह्मण तथा अनेक अन्य लोग भी पाकर बस गये ।
प्राचार्य रत्नप्रभसूरि जिस समय अपने शिष्यसमूह के साथ उपकेशनगर में पधारे उस समय सारे नगर में एक भी जैन धर्मावलम्बी गृहस्थ के न होने के कारण उन्हें अनेक कष्टों का सामना करना पड़ा। भिक्षा न मिलने के कारण उन्हें और उनके शिष्यों को उपवास पर उपवास करने पड़े फिर भी उन्होंने ३५ साधुओं के साथ उपकेश नगर में चातुर्मास करने का निश्चय किया और अपने शेष सब शिष्यों को कोरंटा आदि अन्य नगरों और ग्रामों में चातुर्मास करने के लिये उपकेशनगर से विहार करवा दिया।
उपकेशनगर में चातुर्मास करने के पश्चात् रत्नप्रभसूरि पाहार-पानी की अनुपलब्धि प्रादि अनेक घोर परीषहों को समभाव से सहते हुए प्रात्मसाधना में तल्लीन रहने लगे। इस प्रकार चातुर्मास का कुछ समय निकलने के पश्चात् एक दिन उपकेश नगर के राजा उत्पल के दामाद त्रैलोक्यसिंह को, जो मंत्री ऊहड का पुत्र था एक भयंकर विषधर ने डस लिया। उपचार के रूप में किये गये सभी
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