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जैन धर्म का मौलिक इतिहास-द्वितीय भाग [चन्द्रगुप्त वि० मतभेद वंश का अन्त कर चन्द्रगुप्त मौर्य ने पाटलिपुत्र के राजसिंहासन पर अधिकार किया। पर तथ्यों की कसौटी पर कसे जाने के पश्चात् यह नवीन मान्यता खरी नहीं उतरी और इतिहास के विद्वानों ने स्पष्ट रूप से यह कह दिया कि हेमचन्द्राचार्य की गणना में असावधानी से पालक के राज्य के ६० वर्ष छूट गये हैं।'
प्राचार्य हेमचन्द्र द्वारा राजत्वकाल गणना में हुई इस भूल के कारण भगवान् महावीर के निर्वाण काल में भी ६० वर्ष का अन्तर आता था अतः विद्वानों द्वारा इस सम्बन्ध में गहन खोज की गई और उस खोज के परिणामस्वरूप यह तथ्य विद्वानों के समक्ष आया कि महाराजा कुमारपाल का कालं देते समय प्राचार्य हेमचन्द्र ने पालक के राज्यकाल के ६० वर्षों को कालगणना में सम्मिलित कर लिया है। यथा :
अस्मिन्निर्वाणतो वर्षशतान्यमय षोडश । नवषष्टिश्च यास्यन्ति, यदा तत्र पुरे तदा ॥४५॥ कुमारपालभूपालो चौलुक्यकुलचन्द्रमाः ।। भविष्यति महाबाहुः, प्रचण्डाखण्डशासनः ।।४६।।
[त्रिषष्टि शलाका पु० च०, पर्व १०, सर्ग १२] प्राचार्य हेमचन्द्र के इस कथन के अनुसार कुमारपाल वी० नि० सं० १६६६ में हुया और यह निर्विवाद रूप से माना जाता है कि राजा कुमारपाल ई० सन् ११४२-४३ में हरा । इस प्रकार हेमचन्द्राचार्य ने भी महावीर निर्वाणकाल (वी० नि० सं० १६६६-११४२) ई० पूर्व ५२७ मान कर तित्थोगालियपइण्णा में दी गई कालगणना को तथ्यपूर्ण माना है।
इस प्रकार के पुष्ट प्रमाणों के उपरान्त भी कुछ विद्वान् “पण पण सयं वियारिण गंदाणं" इस गाथापद का यह असंगत अर्थ लगा कर कि वीर निर्वाण संवत् १५५ में नन्दवंश का अन्त हा- यह मान्यता अभिव्यक्त करते हैं कि चन्द्रगुप्त मौर्य वीर नि० सं० १५५ में राजसिंहासन पर आसीन हुआ।
चन्द्रगुप्त मौर्य ने वीर निर्वाण संवत् २१५ में नन्द राज्यवंश का अन्त कर राज्यारोहण किया अथवा वी० नि० सं० १५५ में, यह एक बहुत बड़ा ऐतिहासिक प्रश्न है । इससे न केवल जैन इतिहास पर अपितु आज से लगभग २३०० वर्ष पहले के भारतवर्ष के इतिहास पर भी प्रभाव पड़ता है अतः यहां नन्द और चन्द्रगुप्त मौर्य के समय की महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनामों का उल्लेख करना आवश्यक है।
ईसा पूर्व मई ३२७ से ईसा पूर्व मई ३२४ तक लगातार तीन वर्ष तक भारतवर्ष पर अलेक्जेण्डर का अाक्रमण रहा । अलेक्जेण्डर द्वारा भारत में नियुक्त अधिकारियों द्वारा लिखे गये युद्ध के संस्मरग्गों एवं विभिन्न अन्य तथ्यों के प्राधार
1 Hemchandra must have omitted by oversight to count the period of 60 ycars of king Palaka after Mahaveera,
Epitome of Jainism Appendix A, PIVI
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