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चन्द्रगुप्त वि. मतभेद) दशपूर्वधर-काल : प्रायं स्थूलभद्र किया, पर उस प्रथम युद्ध में नन्द ने उसकी सेना को नष्ट कर दिया। अपनी भयंकर पराजय के पश्चात् चन्द्रगुप्त और चाणक्य को जंगलों और पहाड़ों में छुप-छुप कर अपने प्राणों की रक्षा करते हुए काफी समय तक इधर से उधर भटकना पड़ा। तत्पश्चात् चन्द्रगुप्त और चाणक्य ने नये सिरे से पुनः सेना संगठित की। सैन्य संगठन के पश्चात् चाणक्य ने राजा पर्वतक से मित्रता की मोर उसे नन्द के राज्य पर प्राक्रमण करने को येन-केन-प्रकारेण सहमत किया। पर्वतक की सहायता प्राप्त करने के पश्चात् चन्द्रगुप्त ने दूसरी बार नन्द पर पाक्रमण किया और इस युद्ध में चन्द्रगुप्त ने नन्द राजवंश का अन्त कर पाटलीपुत्र के राज्यसिंहासन पर अधिकार किया। इन सब अति दुष्कर कार्यों को सम्पन्न करने में चन्द्रगुप्त को निश्चित रूप से १० वर्ष अवश्य लगे होंगे।
इस प्रकार वीर निर्वारण संवत् २१५ में नन्दवंश के अन्त और मौर्य साम्राज्य के प्रारम्भ के जो उल्लेख जैन वाङ्मय में उपलब्ध होते हैं, वे उपरिलिखित ऐतिहासिक तथ्यों की कसौटी पर शतप्रतिशत खरे उतरते हैं।
चन्द्रगुप्त ने वीर निर्वाण संवत् २१५ में नन्द राजवंश को समाप्त कर मौर्य राजवंश की स्थापना की; इस ऐतिहासिक तथ्य की पुष्टि अशोक के १३वें शिलालेख से भी होती है। प्रशोक के सभी अभिलेखों पर उसके राज्याभिषेक के पश्चात बीते हुए वर्षों के अनुक्रम से तिथियां डाली गई हैं। उदाहरण के तौर पर अशोक के राज्याभिषेक के दो वर्ष पश्चात् लिखे गये अभिलेख पर दो, पांच वर्ष पश्चात लिखे गये अभिलेख पर ५ और १३ वर्ष पश्चात् लिखे गये अभिलेख पर १३ की संस्था लिखी गई है । इस प्रकार अशोक के जिस अभिलेख पर जो संख्या लिखी गई है, वह उसके राज्याभिषेक के उसी संख्या वाले वर्ष में लिखा गया है।
पशोक के १३वें राज्यवर्ष में जो तेरहवां शिलालेख लिखा गया उसका भारतीय इतिहास में तिथिक्रम की दृष्टि से बहुत बड़ा महत्व है। इस १३वें शिलालेख में अशोक ने यूनान के उन पांच सबसे अधिक महत्वपूर्ण राजाओं का उल्लेख किया है, जिनके साथ प्रशोक ने अपने शिष्टमंडलों के माध्यम से मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध स्थापित कर रखे थे। उन पांचों यूनानी राजाओं के नाम उनके इतिहाससम्मत राज्यकाल के साथ यहां दिये जा रहे हैं :
१. मंतियोक - बेबिलोन तथा ईरान का राजा ऐंटियोकस, द्वितीय थियोस,
२६१-२४६ ई०पू० २. तुरमय - मिस्र का राजा तोलेमाइयस, द्वितीय फिलाडेल्फोस, २८५
२४७ ई०पू० ३. प्रतिकिनि - मकदूनियां का राजा ऐंटिगोनस गोनाटस, २७७-२४०
४. मक - साइरीन का राजा मगस, ३००-२५० ई० पू० (बैलोख तथा
गैबेर के अनुसार)
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