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भारस पर सि० द्वारा प्रा०J दशपूर्वधर-काल : आर्य स्थूलभद्र
४२१ मिल जाता है । ईसा की दूसरी शताब्दी में जस्टिन नामक एक लेखक ने उपर्युक्त, सिकन्दर और सेल्यूकस के समकालीन अधिकारियों द्वारा लिखे गये विवरणों के
आधार पर एपिटोम अर्थात् 'सारसंग्रह' की रचना की। उसके बारहवें खण्ड में उसने सिकंदर के विजय अभियानों का विवरण देते हुए लिखा है :
.."सिकन्दर की मृत्यु के पश्चात् भारत ने मानो अपने गले से यूनानी दासता का जूमा उतार फेंका और उसके अनेक क्षत्रपों को मार डाला। इस मुक्तिअभियान का सूत्रधार सेंड्रोकोट्टस था। उसका जन्म एक साधारण कुल में हुमा था पर कुछ देवी प्रोत्साहनों से उसे राजा का पद प्राप्त करने की प्रेरणा मिली। हुआ यह कि उसकी धृष्टता पर 'नैडम'' (नन्द) को क्रोध या गया और उसने उसे मरवा डालने की आज्ञा दी, पर वह अपने प्राण बचा कर वहां से भाग निकला। संड्रोकोट्टस-चन्द्रगुप्त जब थक कर सो रहा था उस समय एक सिंह उसके पास पाया और उसके शरीर से बहता हुआ पसीना चाट कर धीरे से उसे जगाया और चला गया । इस अनहोनी घटना से पहले-पहल चन्द्रगुप्त के मन में एक राजा का सम्मान प्राप्त करने की अभिलाषा जागृत हुई और उसने अपने चारों ओर लुटेरों का एक गिरोह जमा करके भारतवासियों को तत्कालीन (यूनानी) शासन का तस्ता उलट देने के लिये भड़काया। इसके कुछ समय पश्चात् जब वह सिकन्दर के सेनापतियों से लड़ने जा रहा था, तो एक विशालकाय जंगली हाथी अपने-आप उसके सामने आकर खड़ा हो गया और सहसा पालतू हाथी की तरह शीलस्वभाव का होकर उसने चन्द्रगुप्त को अपने ऊपर बिठा लिया। वह हाथी चन्द्रगुप्त का पथप्रदर्शक बन गया और रणक्षेत्र में बहुत आगे-आगे रहा । इस प्रकार राजसिंहासन पर अधिकार कर के सैंड्रोकोट्टस ने भारत को अपने अधीन कर लिया। इसी समय सेल्यूकस अपनी भावी महानता की नींव डाल रहा था।"
___ जस्टिन द्वारा दिये गये इस विवरण से इस प्रश्न के हल के साथ-साथ भारतीय इतिहास के अनेक धुन्धले तथ्य स्पष्ट रूप से किस प्रकार उभर आते हैं, यह चन्द्रगुप्त के जीवन वृत्त में प्रागे दिया जायगा।
यहां यही बताना अभीष्ट है कि सिकन्दर के इस आक्रमण ने भारतीयों में एक नवीन चेतना जागृत करदी और भारत में एक महान् शक्तिशाली बड़ी राजसत्ता को जन्म देने की पूर्वपीठिका.का निर्माण किया । वस्तुतः सिकन्दर के इस सैनिक अभियान ने भारतीयों की रणक्षमता शोर वीरता को संसार के समक्ष प्रकट कर दिया क्योंकि सिकन्दर की विजय की कहानियों से भी उसके विरुद्ध भारतीयों द्वारा किये गये प्रतिरोध की कहानियां अधिक वीरताभरी,
पाम तौर पर इस स्थान पर 'अलेक्जेंडस' शब्द मिलता है, जिसके बारे में डि ने सिद्ध कर दिया है कि वह गलत है प्रतः उसके स्थान पर 'नेडम' शब्द रख दिया है।
[मैककिरिन की इन्वेजन माफ इन्डिया बाई अलेक्जेंटर पृ. ३२७]
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