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शिशु का संक्षिप्त परिचय] केवलिकाल : मार्य जम्बू
२५५ का इन नागदशकों का शासनकाल बताया है वह प्रत्येक राजा के पृथक्-पृथक् दिये गये शासनकाल को जोड़ने पर ३३२ ही होता है। इसी प्रकार की भूल नामों के सम्बन्ध में भी हुई है जिसके परिणामस्वरूप विभिन्न पुराणों में उल्लिखित इन नागदशकों के नामों में भी विभेद पाया जाता है।
मत्स्य पुराण में नागदशकों के स्थान पर १२ नागवंशी राजामों के नाम व शासनकाल के सम्बन्ध में जो विवरण दिया गया है, वह इस प्रकार है :
"वाराणसी का राज्यसिंहासन अपने पुत्र काकवर्ण को सम्हलाकर शिशुनाग गिरिखम में प्रायेगा। शिशुनाग का मगध पर ४० वर्ष, काकवर्ण का २६ वर्ष, क्षैमवर्मा का ३६ वर्ष, क्षेमजित् का २४ वर्ष, विन्ध्यसेन का २८ वर्ष, काण्वायन का ६ वर्ष, उसके पुत्र भूमिमित्र का १४ वर्ष, प्रजातशत्रु का २७ वर्ष, वंशक का २४ वर्ष, उदासी (उदायी) का ३३ वर्ष, नन्दिवर्धन का ४० वर्ष और महानन्दी का ४३ वर्ष राज्य होगा। ये १२ शिशुनागवंशी राजा.३६० वर्ष तक राज्य करेंगे।' इन १२ शिशुनागवंशी राजाओं के पृथक्-पृथक् शासनकाल को जोड़ने पर कुल ३४४ वर्ष ही होते हैं किन्तु समष्टिरूप से पुराणकार ने ३६० वर्ष का इनका शासनकाल लिखा है। यह सम्भव है कि काकवर्ण को वाराणसी का राज्य देने एवं शिशुनाग द्वारा मगध के राज्य सिंहासन पर अंधिकार करने से पूर्व शिशुनाग का वाराणसी राज्य पर १६ वर्ष तक शासन रहा हो और पुराणकार ने वाराणसी पर शिशुनागवंशियों के शासनकाल को मगध के शासनकाल के साथ जोड़ कर ३६० की गणना पूरी की हो।
उपयुक्त तीनों पुराणों में नागदशकों का कुल मिला कर ३६० - ३६२ वर्ष का शासनकाल माना है।
. अब हमें इन मगध के शासकों के शासनकाल के सम्बन्ध में जो जैन वाङमय में उल्लेख उपलब्ध हैं, उनकी ओर दृष्टिपात करना होगा। भगवान् महावीर की केवलिचर्या के तेरहवें वर्ष में मगध पर कूणिक के शासन का उन्लेख उपलब्ध होता है । इस वर्ष से पहले अथवा इसी वर्ष में कूणिक मगध की राजधानी को राजगह से चम्पा में स्थानान्तरित कर चुका था। इससे यह फलित होता है कि भगवान महावीर के निर्वाण के समय अर्थात् ईसा पूर्व ५२७ में शिशुनाग वंश के ७वें शासक कृरिणक के मगध पर शासनकाल के लगभग १७ वर्ष व्यतीत हो चुके थे । इस प्रकार शिशुनाग के शासनकाल के ४० वर्ष, काकवर्ण के ३६, क्षेमवर्मा के २०, अजातशत्रु के २५, क्षत्रीजा (प्रसेनजित्) के ४०, बिम्बिसार (श्रेणिक) के २८ वर्ष और कूरिणक के महावीर निर्वाणकाल तक १७. वर्ष इस प्रकार इन शिशुनागवंशी ७ राजाओं का कुल मिला कर २०६ वर्ष का . शासनकाल होता है और पुराणकार जो ३० वर्ष का समय जोड़ने में भूल बैठे ' मत्स्यपुराण, म. २७१ श्लोक ५ से १२ २ जन धर्म का मौलिक इतिहास, भाग १, पृ० ४१७
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