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कलिंग का चेदि राजवंश केवलिकाल : मार्य जम्बू
२८७ नहीं था अतः उन्होंने अन्तिम समय में अपने जामाता शोभनराय को कलिंग राज्य का अधिपति बनाकर परलोक गमन किया। शोभनराय जैन धर्म में प्रगाढ़ श्रद्धा रखने वाला प्रमुख श्रमणोपासक था।'
- केवलिकाल में केवल कलिंग के राजवंश का ही नहीं अपितु भारत के प्रायः सभी अन्य राजवंशों का तेज शिशुनागवंश के बढ़ते हुए प्रताप के समक्ष एक प्रकार से निस्तेज तुल्य ही रहा।
मह वेसाली गयराहियो चेडनो णिवो सिरि महावीर तित्थयरस्सुकिट्ठो समणोवासमो मासी । से रणं रिणय भाइणिज्जेणं चंपाहिवेणं कुरिणगेणं संगामे अहिरिणक्खित्तो प्रणसरणं किच्चा सग्गं पत्तो। तस्सेगो सोहणरायनामधिज्जो पुत्तो तमो उच्चलिम्रो रिणय ससुरस्स कलिंगाहिवस्स सुळोयण णामधिजस्स सरणं गमो । सुलोयणो वि णिप्पुत्तो तं सोहणरायं कलिंग रज्जे ठाइत्तां परलोग्रातिहि जानो। तेणं कालेणं तेणं समएएणं वीरामो प्रड्ढारस वासेसु विइक्कतेसु से सोहणराम्रो कलिंग विसए कणगपुरम्मि अभिसित्तो। से विय रणं जिणधम्मरमो तस्य तित्थभूप कुमरगिरिम्मि कयजत्तो उक्किट्ठो समरणोवासगो होत्था ।
[हिमवंत स्थविरावली, अप्रकाशित]
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