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प्रभाका जंबू से निवेदन] श्रुतकेवली-काल : प्राचार्य प्रभवस्वामी
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. जम्बूकुमार की बात सुन कर प्रभव प्राश्चर्यमग्न हो विस्फारित नेत्रों से उनकी मोर देखता ही रह गया । वह सोचने लगा-कैसा प्रश्रुतपूर्व महान् पाश्चर्य है ? यौवन की मध्याह्नवेला में बल, वैभव और सौन्दर्य की अतुल राशि को पाकर भी देवकन्यामों जैसी पाठ-पाठ रमणियों के बीच निलिप्त रहने वाला यह कौन शूरशिरोमरिण है ? इन सब का इस महापुरुष ने तृणवत् परित्याग कर दिया। यह तो कोई अलौकिक अनुपम ज्ञानी, अद्भुत विरागी पुरुष है। वस्तुतः यह वन्दनीय और पूजनीय है । सहसा प्रभव का सांजलि शीश जम्बूकुमार के समक्ष मुक गया।
जम्मू और प्रभव का संवाद प्रभव असीम प्रात्मीयता से ओतप्रोत स्वर में कहने लगा - "जम्बूकुमार! माप स्वयं विज्ञ हैं। फिर भी में एक बात आपसे निवेदन करता हं । संसार में रमा और रामा- ये दो अमृतफल हैं, जो देव को भी सहसा दुर्लभ हैं पर सौभाग्य से माफ्को ये दोनों प्रमतफल प्राप्त.हैं। प्राप इनका यथेच्छ, जी भर कर उपभोग कीजिये । भविष्य के गर्भ में छुपे बड़े से बड़े सुख की प्राशा में, उपलब्ध सुख के परित्याग की पण्डितजन प्रशंसा नहीं करते । अभी तो अापकी वय संसार के इन्द्रियजन्य सुखों के उपभोग करने की है। मेरी समझ में नहीं पाता कि इस असमय में भोग-मार्ग से मुख मोड़ कर आपने अपने मन में प्रवजित होने की बात क्यों सोच रखी है? जिन लोगों ने मानन्दप्रद सांसारिक भोगोपभोगों का जी भर रसास्वादन कर लिया हो और जिनकी अवस्था परिपक्व हो चुकी हो, ऐसे व्यक्ति यदि धर्म का प्राचरण करें, तो उस स्थिति में त्याग का औचित्य समझ में प्रा सकता है।"
इस पर जम्बूकुमार ने कहा - "प्रभव ! तुम जिन्हें सुख समझते हो वे तथाकथित विषयसुख मधुबिन्दु के समान अति तुच्छ, नगण्य और क्षणिक हैं। इनका परिणाम अत्यन्त दुःखदायी है।"
प्रभव ने पूछा - "बन्धुवर ! वह मधुबिन्दु क्या है ?"
इस पर जम्बूकुमार ने प्रभव को मधुबिन्दु का पाख्यान सुनाया, जो इस प्रकार है :
मधुबिन्दु का दृष्टान्तधनोपार्जन की अभिलाषा से एक सार्थवाह अनेकों अन्य अर्थाथियों को साथ लिये देशान्तर की यात्रा को चला। उसके साथ एक बुद्धिहीन निर्धन व्यक्ति भी था । दूरस्थ प्रदेश की यात्रा करता हुप्रा वह सार्थ एक जंगल में पहुंचा । वहां एक मकुमों के दल ने सार्थ पर आक्रमण कर उसे लूटना चाहा । वह गरीब व्यक्ति भय के मारे वहां से किसी न किसी प्रकार अपने प्राण बचा कर भाग निकला । पर थोड़ी ही दूर चलने पर उसने देखा कि एक भयानक जंगली हाथी उसका पीछा कर रहा है। अपने प्राणों की रक्षा हेतु उसने इधर-उधर देखा कि
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