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विजयोदया टीका भवान्तरप्राप्तिरनन्तरोपसृष्टपूर्वभवविगमनं तद्भवमरणं । तत्त्वनंतशः प्राप्तं जीवेनेति ज्ञातव्यं तेन तद्भवमरणं न दुर्लभम् ।
अनुभवावीचिकामरगमुच्यते-कर्मपुद्गलानां रसः अनुभव इत्युच्यते, स च परमाणुषु षोढा वृद्धिहानिरूपेण वीचय इव क्रमेणावस्थितस्य प्रलयोऽनुभवावीचिमरणं ।
आयुःसंज्ञितानां पुद्गलानां प्रदेशा जघन्यनिषेकादारभ्य एकादिवद्धिक्रमेणावस्थितवीचय इव तेषां गलनं प्रदेशावीचिकामरणं ।
__ अवधिमरणं नाम कथ्यते--यो यादृशं मरणं सांप्रतमुपैति तादृगेव यदि मरणं भविष्यति तदवधिमरणं । तद्विविध देशावधिमरणं सर्वावधिमरणं इति ।
तत्र सर्वावधिमरणं नाम यदायुर्यथाभूतमुदेति सांप्रतं प्रकृतिस्थित्यनुभवप्रदेशस्तथानुभूतमेवायुः प्रकृत्यादिविशिष्टं पुनर्बध्नाति उष्यति च यदि तत्सर्वावधिमरणं ।
यत्सांप्रतमुदेत्यापुर्यथाभूतं तथाभूतमेव बध्नाति देशतो यदि तद्देशावधिमरणं । एतदुक्तं भवति देशतः सर्वतो वा सादृश्यनावधीकृतेन विशेषितं मरणमवधिमरणमिति । सांप्रतेन मरणेनासादृश्यभावि यदि मरणमाद्यंतमरणं उच्यते, आदिशब्देन सांप्रतं प्राथमिक मरणमुच्यते तस्य अंतो विनाशभावो यस्मिन्नुत्तरमरणे तदेतदाद्यंतमरणं अभिधीयते । प्रकृतिस्थित्यनुभवप्रदेशयथाभूतः सांप्रतमुपैति मृति तथाभूतां यदि सर्वतो देशतो वा नोपैति तदाधतमरणं ।।
वालमरणमुच्यते-बालस्य मरणं बालमरणं, स च बालः पञ्चप्रकारः अव्यक्तबालः व्यवहारबालः,
भवान्तर प्राप्तिपूर्वक उसके अनन्तर पूर्ववर्ती भवका विनाश तद्भवमरण है। वह तो इस जीवने अनन्तवार प्राप्त किया है । अतः तद्भवमरण दुर्लभ नहीं हैं।
अनुभव आवीचिमरण कहते हैं-कर्मपुद्गलोंके रसको अनुभव कहते हैं। वह अनुभव परमाणुओंमें छह प्रकारकी वृद्धि हानिके रूपसे तरंगोंकी तरह क्रमसे अवस्थित है। उसका विनाश अनुभव आवीचिमरण है। आयुसंज्ञावाले पुद्गलोंके प्रदेश जघन्य निषेकसे लेकर एक आदि वृद्धिके क्रमसे तरंगोंकी तरह अवस्थित है उनके गलनेको प्रदेश आवीचिदामरण कहते हैं।
अवधिमरणको कहते हैं जो वर्तमानमें जैसा मरण प्राप्त करता है यदि वैसा ही मरण होगा तो उसे अवधिमरण कहते हैं। उसके दो भेद हैं-देशावधिमरण और सर्वावधिमरण । वर्तमानमें जो आयु जैसे प्रकृति, स्थिति, अनुभव और प्रदेशोंको लेकर उदयमें आ रही है वैसी ही प्रकृति आदिको लिए हुए यदि पुनः आयुबन्ध करता है और उसी प्रकार भविष्यमें उसका उदय होता है तो उसे सर्वावधिमरण कहते हैं। और वर्तमानमें जैसा आयुका उदय होता है वैसा ही यदि एक देश बन्ध करता है वह देशावधिमरण है। इसका अभिप्राय यह है एक देशसे अथवा सर्वदेशसे मर्यादाको लिए हुए सादृश्यसे विशिष्ट मरणको अवधिमरण कहते हैं। वर्तमानमरणसे यदि भाविमरण असमान होता है तो उसे आद्यन्तमरण कहते हैं । यहाँ आदि शब्दसे वर्तमानका प्राथमिकमरण कहा जाता है। उसका अन्त अर्थात् विनाश जिस उत्तरमरणमें होता है उसे आद्यन्तमरण कहते हैं । वर्तमानमें जिस प्रकारके प्रकृति, स्थिति, अनुभव और प्रदेश द्वारा मरणको प्राप्त होता है यदि एकदेश या सर्वदेशसे उस प्रकारके मरणको प्राप्त नहीं होता तो वह आद्यन्तमरण है। - बालमरणको कहते हैं-बालके मरणको बालमरण कहते हैं। वह बाल पाँच प्रकारका
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