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विजयोदया टीका तह संजमगुणभरिदं परिस्सहुम्मीहिं खुभिदमाइद्धं ।
णिज्जवओ धारेदि हु महुरेहि हिदोवदेसेहिं ॥५०६।। . 'तह संजमगुणभरिदं तथा संयमेन गुणश्च सम्पूर्ण । संयमस्य सर्वेभ्यो गुणेभ्यः प्रधानत्वात् संयमशब्दस्य पूर्वनिपातः । 'परिस्सहुम्मोहि' क्षुत्पिपासादुःखानि परीषहास्ते ऊर्मय इवानुक्रमेणोद्गच्छन्तीति ऊर्मिव्यपदेशं लभन्ते । परीषहोमिभिः 'खुभिदं' चलितं । 'आइद्ध" तिर्यग्भतं यतिपोतं । 'णिज्जवगो धारेदि खु' निर्यापकसूरिर्धारयति । 'मधुरेहि हिदोवदेसेहि' मधुरैहितोपदेशः ।।५०६।।
धिदिवलकरमादहिदं महुरं कण्णाहुदि जदि ण देइ ।
सिद्धिसुहमावहंती चत्ता आराहणा होइ ।।५०७|| .., 'विविबलकर' धृतिबलकारिणीं। स्मृतेः स्थैर्य धृतिस्तस्या अवष्टम्भकारिणीं। 'आदहिद' आत्म हिता.। 'मधुर' मधुरां । 'कण्णाहुदि' कर्णाहुतिं । 'जदि ण देवि' यदि न दद्यात् । सिद्धिसुखमावहन्तीति । सिद्धिसुखानयनकारिणी । 'आराहणा' आराधना । 'चत्ता होदि' त्यक्ता भवति ॥५०७॥ प्रस्तुतोपसंहारगाथा
इय णिव्ववओ खवयस्स होइ णिज्जावओ सदायरिओ ।
होइ य कित्ती पघिदा एदेहिं गुणेहिं जुत्तस्स ।।५०८।। 'इय' एवं । 'णिव्ववगो' निर्वापकः । 'खवगस्स' क्षपकस्य । "णिज्जावगो होदि' निर्यापको भवति । 'सदायरिओ' सदाचार्यः निर्यापकत्वगुणसमन्वितः क्षपकस्योपकारी भवतीत्युक्त्वा स्वार्थमपि तस्य सूरदर्शयति । 'होदि य कित्ती पधिदा' भवति च कीर्तिः प्रथिता । 'एदेहि गुणेहि जुत्तस्स' आचारवत्त्वादिभिर्गुणयुक्तस्य ।।५०८॥
गा०-जैसे नौका चलानेका अभ्यासी बुद्धिमान् नाविक तरंगोंसे क्षुभित समुद्रमें रत्नोंसे भरे जहाजको धारण करता है ।।५०५॥
गा०-वैसे ही निर्यापक आचार्य संयम और गुणोंसे पूर्ण, किन्तु परीषह रूप लहरोंसे चंचल और तिरछे हए क्षपकरूप जहाजको मधुर और हितकारी उपदेशोंसे धारण करता है उसका संरक्षण करता है ।।५०६॥
टी०- संयम सब गुणोंसे प्रधान है इसलिए संयम शब्दको गुणसे पहले रखा है। तथा भूख-प्यासका दुःख परीषह है। वे लहरोंकी तरह एकके बाद एक क्रमसे उठती हैं इसलिए परीषहोंको लहरें या तरंगें कहा है ।।५०६।।
गा०-यदि आचार्य स्मृतिकी स्थिरता रूप धैर्यको बल देने वाली और आत्माका हित करनेवाली मधुर वाणी क्षपकके कानोंमें न सुनाये तो मोक्ष सुखको लानेवाली आराधनाको क्षपक छोड़ बैठे ।।५०७||
प्रस्तुत चर्चा का उपसंहार करते हैं।
गा-इस प्रकार निर्यापकत्व गुणसे युक्त आचार्य क्षपकका निर्यापक होता है। वह उसका उपकारी होता है । इतना कहकर उस निर्यापकाचार्यका भी इसमें स्वार्थ बतलाते हैं कि
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