Book Title: Bhagavati Aradhana
Author(s): Shivarya Acharya
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

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Page 1017
________________ ९५० भगवती आराधना पृ० प्रशस्तराग प्रसेनिका कुशील ९५ ८५५ __ यथाच्छन्द मुनि योग ४४ बलायमरण बाल पण्डितमरण बाल मरण ५७ रस परित्याग ३ रूपसत्य १९, २३८ ६०१ ५९५ २४७ १५४ २४६ ५७ भक्त प्रत्याख्यान भक्ति भव संसार भवायु भाव क्रीत भाव पूजा भाव प्रत्याख्यान भाव प्राण भाव शल्य भाव श्रिति भाव सत्य भाव संसार भावि प्रतिक्रमण भावि सामायिक भावि सिद्ध भाषा समिति भूति कुशील (मुनि) ४४० २०, ३० ४७ ७५८ २०, २४४ २७ २१४ १५६ विकार १५८ वचन गुप्ति ८७ वणिगवा दोष ३४२ वन्दना ४९ वर्ण जनन वसट्टमरण ८७ विक्षेपणी कथा १५८ विनय विपरीत मिथ्यात्व ३९४ विपाक विचय २१७ विप्पाणस मरण ६०१ विविक्त शय्यासन ३४१, ७९२ विवेक विवेक (के भेद) १५३ वीतरागसम्यग्दर्शन ५, ८५ वीर्याचार ६०० वृत्तिपरिसंख्यान वैयावृत्य व्यञ्जनशुद्धि व्यवहार सत्य २४६ २४५ शङ्कित दोष ८१५ शुद्धनय २७ श्रुत २४७ श्रुत अवर्णवाद १५८ श्रुत भावना २४७ श्रुत वर्णजनन ८६, ३१९ १९, २४० १४४ ६०१ ५९५ २४७ मनोगुप्ति मालारोह मिश्र (दोष) मिश्रानुकम्पा मूल (प्रायश्चित्त) मूल कर्म दोष मूल गुण प्रत्याख्यान म्रक्षित दोष Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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