________________ 544] [व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र का, तीन खण्डों पर वासुदेव का तथा विभिन्न जनपदों पर अमुक-अमुक शासक या मन्त्री का अवग्रह होता है। (3) गाथापति-अवग्रह-माण्डलिकादि का अपने अधीनस्थ देश पर अवग्रह होता है। (4) सागारिक-अवग्रह–सागारिक-गृहस्थ का अपने घर या मकान पर अवग्रह होता है / (5) सार्मिकअवग्रह-समान धर्म-प्राचार वाला साधु वर्ग परस्पर सार्मिक कहलाता है। शेष काल में एक माम और चातुर्मास्य में चार मास तक पांच-पांच कोस तक के क्षेत्र में सार्मिकावग्रह होता है / ढाई-ढाई कोस तक उत्तर-दक्षिण में, तथा ढाई कोस तक पूर्व-पश्चिम में, यों 5 कोश तक का अवग्रह होता है। अवग्रह पारिभाषिक शब्द है। यह शब्द विशेषतः साधु-साध्वियों द्वारा ठहरने के स्थान आदि में स्वामी या संरक्षक से अवग्रह-ग्रहण करने की अनुज्ञा लेने या याचना करने के अर्थ में प्रयुक्त होता है।' कठिनशब्दार्थ-वज्जपाणि-वज्रपाणि-जिसके हाथ में वज्र हो। केवलकप्पं केवलकल्प, सम्पूर्ण / प्राभोएमाणे--उपयोग लगाते हुए / उग्गहे अवग्रह-स्वामी से ग्रहण करना / 2 शक्रेन्द्र की सत्यता, सम्यग्वादिता, सत्यादिभाषिता, सावद्य-निरवद्यभाषिता, एवं भवसिद्धिकता आदि के सम्बन्ध में प्रश्नोतर 12. 'भंते !' त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदति नमसति, वं० 2 ता एवं वयासीजंणं भंते ! सक्के देविदे देवराया तुम्भे एवं वदति सच्चे णं एसम? ? हंता, सच्चे। [12 अ.] भगवन् ! इस प्रकार सम्बोधन करके भगवान गौतम ने श्रमण भगवान महावीर स्वामी को वन्दना-नमस्कार करके इस प्रकार पूछा-भगवन् ! देवेन्द्र देव राज शक्र ने आप से पूर्वोक्त रूप से अवग्रह सम्बन्धी जो अर्थ कहा, क्या वह सत्य है ? [12 उ.] हाँ, गौतम ! वह अर्थ सत्य है / 13. सक्के गं भंते ! देविदे देवराया कि सम्मावादी, मिच्छावादी? गोयमा ! सम्मावादी, नो मिच्छाबादी। [13 प्र.] भगवन् ! क्या देवेन्द्र देवराज शक सम्यग्वादी है अथवा मिथ्यावादी है ? [13 उ.] गौतम ! वह सम्यग्वादी है, मिथ्यावादी नहीं। 14. सक्के णं भते ! देविदे देवराया कि सच्चं भासं भासति, मोसं भासं भासति, सच्चामोसं भासं भासति, असच्चामोसं भासं भासइ ? गोयमा ! सच्चं पि भासं भासति, जाव असच्चामोसं पि भासं भासति / 1. (क) भगवती. अ, वृत्ति, पत्र 700-701 (ख) भगवती. (हिन्दीविवेचन) भा. 5, पृ. 2521 2. (क) वही, पृ. 2520 / (ख) भगवती. अ. वत्ति, पत्र 700 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org