________________ बीसवां शतक : उद्देशक 5 यों वर्ण की अपेक्षा असंयोगी 5, द्विक-संयोगी 40, त्रिक-संयोगी 80, चतुःसंयोगी 80 और पंच-संयोगी 31, ये सब मिलाकर वर्णसम्बन्धी 236 भंग होते हैं / गन्ध-विषयक 6 भंग अष्टप्रदेशी के समान होते हैं। रस-विषयक 236 भंग इसी (अष्टप्रदेशी) के वर्ण के समान 236 भंग कहने चाहिए। स्पर्श के 36 भंग चतुष्प्रदेशी के समान समझने चाहिए। विवेचन-नवप्रदेशी स्कन्ध के वर्णादि-विषयक पांच सौ चौदह भंग-प्रस्तुत नौ प्रदेशी स्कन्ध के विषय में वर्ण के 236, गन्ध के 6, रस के 236 और स्पर्श के 36, ये कुल गिला कर 514 भंग होते हैं। दश-प्रदेशी स्कन्ध में वर्णादि के भंगों का निरूपण 10. दसपदेसिए णं भंते ! खंधे० पुच्छा। गोयमा ! सिय एगवणे जहा नवपदेसिए माव सिय चउफासे पन्नत्ते / जति एगवणे, एगवण्ण-दुवण्ण-तिवण्ण-चउवण्णा जहेव नवपएसियस्स / पंचवण्णे वि तहेव, नवरं बत्तीसतिमो वि भंगो भण्णति / एवमेते एक्कग-दुयग-तियग-चउक्कग-पंचगसंजोएस दोन्नि सत्तत्तोसा भंगसया भवति / गंधा जहा नवपएसियस्स। रसा जहा एयस्स चेव बण्णा। फासा जहा चउप्पएसियस्स। [10. प्र.] भगवन् ! दश-प्रदेशी स्कन्ध कितने वर्ण वाला होता है, इत्यादि प्रश्न ? [10. उ.] गौतम ! नव-प्रदेशिक स्कन्ध के समान यावत्-कदाचित् चार स्पर्श वाला होता है-तक कहना चाहिए। यदि एकवर्णादि वाला हो तो नव-प्रदेशिक स्कन्ध के एक वर्ण, दो वर्ण, तीन वर्ण और चार वर्ण-(सम्बन्धी भंग) के समान कहना चाहिए। यदि वह पांच वर्ण वाला हो तो नव-प्रदेशी के समान समझना चाहिए। विशेष यह है कि यहाँ अनेकदेश काला, अनेकदेश नीला, अनेकदेश पीला और अनेकप्रदेश श्वेत होता है / यह बत्तीसवाँ भंग अधिक कहना चाहिए। इस प्रकार असंयोगी 5, द्विकसयोगी 40, त्रिकसंयोगी 80, चतुष्कसंयोगी 80 मोर पंचसंयोगी 32, ये सब मिला कर वर्ण के 237 भंग होते हैं / गन्ध के 6 भंग नव-प्रदेशी-सम्बन्धी के समान हैं। रस के 237 भंग इसी के वर्ण के समान होते हैं। स्पर्शसम्बन्धी 36 भंग चतुष्प्रदेशी के समान होते हैं / 11. जहा दसपएसियो एवं संखेज्जपएसिनो वि। [11] दशप्रदेशी स्कन्ध के समान संख्यात-प्रदेशी स्कन्ध (के) भी (वर्णादिसम्बन्धी भंग कहने चाहिए।) 12. एवं असंखेज्जपएसिओ वि / [12] इसी प्रकार असंख्यात-प्रदेशी स्कन्ध के विषय में भी समझना चाहिए। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org