________________ 406) ' म्याख्याप्रज्ञप्तिमूत्र सुसमदुस्समाकाले वा होज्जा, दुस्समसुसमाकाले वा होज्जा, दुस्समाकाले वा होज्जा, नो दुस्समदुस्समाकाले होज्जा / साहरणं पडुच्च अन्नयरे समाकाले होज्जा। [69-2 प्र.] भगवन् ! यदि बकुश अवसर्पिणीकाल में होता है तो क्या सुषम-सुषमाकाल में होता है ? इत्यादि प्रश्न / 66-2 उ.] गौतम ! जन्म और सद्भाव की अपेक्षा (वह) सुषम-सुषमाकाल में, सुषमाकाल में तथा दुःषम-दुःषमाकाल में नहीं होता, किन्तु सुषम-दुःषमाकाल में, दुःषम-सुषमाकाल में या दुःषमाकाल में होता है / सहरण की अपेक्षा (वह इनमें से किसी भी (आरे के ) काल में होता है। [3] जति उस्सप्पिणिकाले होज्जा कि दुस्समदुस्समाकाले होज्जा० पुच्छा। गोयमा ! जम्मणं पडुच्च नो दुस्समदुस्समाकाले होज्जा जहेव पुलाए / संतिभावं पडुच्च नो दुस्समदुस्समाकाले होज्जा०; एवं संतिभावेण वि जहा पुलाए जाव नो सुसमसुसमाकाले होज्जा। साहरणं पडुच्च अन्नयरे समाकाले होज्जा। [69-3 प्र.] भगवन् ! यदि ( बकुश ) उत्सर्पिणीकाल में होता है तो क्या दुःषमदुःषमाकाल में होता है ? इत्यादि प्रश्न। {66-3 उ.] गौतम ! जन्म को अपेक्षा वह दुःषम-दुःषमाकाल में नहीं होता (इत्यादि सब कथन) पुलाक के समान जानना। सद्भाव की अपेक्षा वह दुःषम-दुःषमाकाल में नहीं होता, इत्यादि समग्र वक्तव्यता पुलाक के समान यावत् सुषम-सुषमाकाल में नहीं होता, यहाँ तक कहनी चाहिए / संहरण की अपेक्षा (वह इन आरों में से किसी भी काल में होता है। [4] जदि नोमोसप्पिणिनोउस्सप्पिणिकाले होज्जा० पुच्छा। गोयमा ! जम्मण-संतिभावं पडुच्च नो सुसमसुसमापलिभागे होज्जा, जहेव पुलाए जाब दुस्समसुसमापलिभागे होज्जा / साहरणं पड़च्च अन्नयरे पलिभागे होज्जा जहा बउसे / [66-4 प्र.] भगवन् ! यदि बकुश नोअवसर्पिणी-नोउत्सर्पिणीकाल में होता है तो (छह आरों में से किस आरे में होता है ? [66-4.] गौतम ! जन्म और सद्भाव की अपेक्षा (वह) सुषम-सुषमा-समानकाल में नहीं होता, इत्यादि सब पुलाक के समान यावत् दु:षम-सुषमा-समानकाल में होता है, यहाँ तक कहना चाहिए। 70. एवं पडिसेवणाकुसोले वि। [70] इसी प्रकार (बकुश के समान) प्रतिसेवनाकुशील के विषय में कहना चाहिए / 71. एवं कसायकुसीले वि। [71] कषायकुशील के विषय में भी (यही वक्तव्यता है / ) 72. नियंठो सिणातो य महा पुलाए, नवरं एएसि अम्भहियं साहरणं भाणियध्वं / सेसं तं देव / [वारं 12] / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org