________________ छठवीसवां शतक : उद्देशक 1 [539 163 उ.] गौतम ! किसी जीव ने (मायुष्यकर्म) बांधा था, इत्यादि चारों भंग पाये जाते हैं। 64. सलेस्से जाव सुक्कलेस्से चत्तारि भंगा। [64] सले श्यी से लेकर यावत् शुक्लले श्यी जीवों तक में चारों भंग पाए जाते हैं / 65. अलेस्से चरिमो। [65] अलेश्यी जीवों में एकमात्र अन्तिम भंग होता है / 66. कण्हपक्खिए गं० पुच्छा। गोयमा ! अत्यंगतिए बंधी, बंधति, बंधिस्सति / प्रत्यंगतिए बंधी, न बंधति, बंधिस्सति / [66 प्र.] भगवन् ! कृष्णपाक्षिक जोव ने (आयुष्यकर्म) बांधा था, इत्यादि प्रश्न / [66 उ.] गौतम ! (1) किसी जीव ने (आयुष्यकर्म) बांधा था, बांधता है और बांधेगा तथा (2) किसी जीव ने बांधा था, नहीं बांधता है और बांधेगा, ये दो भंग पाये जाते हैं / 67. सुक्कपक्खिए सम्मद्दिट्ठी मिच्छादिट्ठी चत्तारि भंगा। [67] शुक्लपाक्षिक सम्यग्दृष्टि और मिथ्यादृष्टि में चारों भंग पाये जाते हैं / 66. सम्मामिच्छादिट्ठी० पुच्छा। गोयमा! अत्थेगतिए बंधी, न बंधति, बंधिस्सति; अत्थेगतिए बंधी, न बंधति, न बंधिस्सति / [68 प्र.] भगवन् ! सम्यग्मिध्यादृष्टि जीव ने आयुष्यकम बांधा था? इत्यादि प्रश्न / [68 उ.] गौतम ! किसी जीव ने बांधा था, नहीं बांधता है और बांधेगा तथा किसी जीव ने बांधा था, नहीं बांधता और नहीं बांधेगा, ये (तीसरा और चौथा) दो भंग पाये जाते हैं। 66. नाणी जाव प्रोहिनाणी चत्तारि भंगा। 169] ज्ञानी (से लेकर) यावत् अवधिज्ञानी तक में चारों भंग पाये जाते हैं। 70. मणपज्जवनाणी० पुच्छा। गोयमा ! प्रत्थेगतिए बंधी, बंधति, बंधिस्सति; अत्थेगतिए बंधी, न बंधति, बंधिस्सति प्रत्थेगतिए बंधी, न बंधति, न बंधिस्सति / [70 प्र. भगवन् ! मनःपर्यवज्ञानी जीव ने प्रायुष्यकर्म बांधा था? इत्यादि (चातुर्भगिक प्रश्न)। 70 उ. गौतम ! किसी मनःपर्यवज्ञानी ने आयुष्यकर्म बांधा था, बांधता है और बांधेगा; किसी मन:पर्थवज्ञानो ने आयुष्यकर्म बांधा था, नहीं बांधता है और बांधेगा तथा किसो मन पर्यवज्ञानी ने बांधा था, नहीं बांधता है और नहीं बांधेगा, ये तीन भंग पाये जाते हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org