________________ अभिमत म. म. डॉक्टर ब्रह्ममित्र अवस्थी, पूर्व मानद वाइस चांसलर गुरुकुल अयोध्या (फैजाबाद) सन् 1918 से लेकर अब तक व्याख्या अथवा अनुवादपूर्वक इस विशाल ग्रन्थ-व्याख्याप्रज्ञप्ति के प्रकाशन के लिए प्रायः पाठ प्रयत्न हुए हैं, किन्तु उन प्रयासों में या तो यह ग्रन्थ पूर्णतया प्रकाशित नहीं हो सका या केवल मूल अर्धमागधी के रूप में प्रकाशित हुआ, अथवा सम्पादन में शुद्ध पाठ का सम्यक निर्धारण नहीं हो सका, अथवा व्याख्या से या तो वह अतिविस्तीर्ण हो गया या विषय का भली प्रकार स्पष्टीकरण न हो सका / जबकि प्रस्तुत संस्करण में इन सब न्यूनताओं को दूर करने का पूर्ण प्रयास हुआ है। इसमें मूल पाठ को यथासंभव पूर्ण शुद्धता के साथ प्रस्तुत करते हुए पाठान्तर, पादटिप्पण,सूत्रसंख्या एवं विशेषार्थ के द्वारा सर्वजनउपयोगी एवं विद्वज्जनग्नाह्य बना दिया गया है। इस संस्करण में प्रत्येक शतक, उद्देशक, प्रश्नोत्तर को उपयुक्त शीर्षकों से अलंकृत कर दिया गया है, जिससे पाठकों को विशेष सुविधा हो सके / ....... www.jainelibrary.org