________________ चउत्थे एगिदियमहाजुम्मसए : पढमाइ-एक्कारसपज्जंता उद्देसगा चतुर्थ एकेन्द्रियमहायुग्मशतक : पहले से ग्यारहवें उद्देशक पर्यन्त द्वितीय एकेन्द्रियमहायुग्मशतकानुसार चतुर्थ एकेन्द्रियमहायुग्मशतक का निर्देश 1. एवं काउलेस्सेहि वि सयं कण्हलेस्ससयसरिसं। सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति० // 35 / 4 / 1-11 // // पंचतीसइमे सए / चउत्थं एगिदियमहाजुम्मसयं समत्तं // 35-4 // [1] इसी प्रकार कापोतलेश्या-सम्बन्धी शतक भी कृष्णलेश्याविशिष्ट शतक के समान जानना चाहिए। 'हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है, भगवन् ! यह इसी प्रकार है', यों कह कर गौतमस्वामी यावत् विचरते हैं / 35 / 4 / 1-11 // // चतुर्थ एकेन्द्रियमहायुग्मशतक : पहले से ग्यारहवें उद्देशक तक समाप्त // // पंतोसवां शतक : चतुर्थ एकेन्द्रियमहायुग्मशतक सम्पूर्ण / / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org