________________ पच्चीसवां शतक : उद्दपक 6] 64.5 [3] जदि उस्सप्पिणिकाले होज्जा कि दुस्समदुस्समाकाले होज्जा, दुस्समाकाले होजा, दुस्समसुसमाकाले होज्जा, सुसमादुस्समाकाले होज्जा, सुसमाकाले होज्जा, सुसमसुसमाकाले होज्जा ? ___ गोयमा ! जम्मणं पडुच्च णो दुस्समदुस्समाकाले होज्जा, दुस्समाकाले वा होज्जा, दुस्समसुसमाकाले वा होज्जा, सुसमदुस्समाकाले वा होज्जा, नो सुसमाकाले होज्जा, नो सुसमसुसमाकाले होज्जा / संतिभावं पडुच्च नो दुस्समदुस्समाकाले होज्जा, नो दुस्समाकाले होज्जा, दुस्समसुसमाकाले वा होज्जा, सुसमदुस्समाकाले वा होज्जा, नो सुसमाकाले होज्जा, नो सुसमसुसमाकाले होज्जा। [68-3 प्र.] भगवन् ! यदि पुलाक उत्सपिणी काल में होता है, तो क्या दुःषम-दुःषमाकाल में होता है अथवा दुःषमाकाल में, दुःषम-सुषमाकाल में, सुषम-दुःषमाकाल में, सुषमाकाल में या सुषम-सुषमाकाल में होता है ? [65-3 उ.] गौतम ! जन्म की अपेक्षा (पुलाक) दुःषम-दुषमाकाल में नहीं होता, वह दुःषमाकाल में, दुःषम-सुषमाकाल में या सुषम-दु:षमाकाल में होता है, किन्तु सुषमाकाल में तथा सुषम-सुषमाकाल में नहीं होता। सद्भाव की अपेक्षा वह दुःषम-दुःषमाकाल में, दु:षमाकाल में, सुषमाकाल में तथा सुषम-सुषमाकाल में नहीं होता, किन्तु दुःधम-सुषमाकाल में या सुषम-दुःषमाकाल में होता है। [4] जति नोमोसप्पिणिनोउस्सप्पिणिकाले होज्जा कि सुसमसुसमापलिभागे होज्ना, सुसमापलिभागे होज्जा, सुसमदुस्समापलिभागे होज्जा, दुस्समसुसमापलिभागे होज्जा ? गोयमा ! जम्मण-संतिभावं पडुच्च नो सुसमसुसमापलिभागे होज्जा, नो सुसमापलिभागे होज्जा, नो सुसमदुस्समापलिभागे होज्जा, दुस्समसुसमापलिभागे होन्जा। [68-4 प्र.] भगवन् ! यदि (पुलाक) नोअवसर्पिणी-नोउत्सर्पिणीकाल में होता है तो क्या वह सुषम-सुषमा-समानकाल में, सुषमा-समानकाल में, सुषम-दुःषमा-समानकाल में या दुःषमसुषमा-समान काल में होता है ? [68-4 उ.] गौतम ! जन्म और सद्भाव की अपेक्षा वह सुषम-सुषमा-समानकाल में, सुषमा-समानकाल में तथा सुषम-दुःषमा-समानकाल में नहीं होता, किन्तु दु:षम-सुषमा-समानकाल में होता है। 69. [1] बउसे गं० पुच्छा / गोयमा! ओसप्पिणिकाले वा होज्ना, उस्सप्पिणिकाले वा होज्जा, नोयोसप्पिणिनोउस्सप्पिणिकाले वा होज्जा। [66-1 प्र.] भगवन् ! बकुश (अवसर्पिणी आदि में से) किस काल में होता है ? [66-1 उ.] गौतम ! वह अवसर्पिणीकाल में, उत्सर्पिणीकाल में अथवा नो अवसपिणीनोउत्सर्पिणीकाल में होता है।। [2] जति प्रोसप्पिणिकाले होज्जा कि सुसमसुसमाकाले होज्जा० पुच्छा। गोयमा ! जम्मण-संतिभावं पडुच्च नो सुसमसुसमाकाले होज्जा, नो सुसमाकाले होज्जा, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org