________________ 362] [ध्यात्याप्रज्ञप्तिसूत्र 200. निरेयस्स केवतियं कालं अंतरं होइ ? गोपमा ! सट्टाणंतरं पडुच्च जहन्नेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं आवलियाए असंखेज्जतिभागं; परट्ठाणतरं पञ्च्च जहन्नेणं एक्कं समय, उषकोसेणं असंखेज्जं कालं / [200 प्र] भगवन् ! निष्कम्प परमाणु-पुद्गल का कितने काल तक का अन्तर होता है ? [200 उ.] गौतम ! स्वस्थान की अपेक्षा जघन्य एक समय और उत्कृष्ट प्रालिका के असंख्यात भाग का अन्तर होता है तथा परस्थान की अपेक्षा जघन्य एक समय और उत्कृष्ट असंख्यात काल का अन्तर होता है। 201. दुपएसियस्स णं भंते ! खंधस्स सेयस्स० पुच्छा। गोयमा ! सटाणंतरं पडुच्च जहन्नेणं एक्कं समयं, उक्कोसणं असंखेज्ज कालं; परट्ठाणतरं पडुच्च जहन्नेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं प्रणतं कालं। 201 प्र.] भगवन् ! सकाप द्विप्रदेशी स्कन्ध का कितने काल का अन्तर होता है। [201 उ.] गौतम ! स्वस्थान की अपेक्षा जघन्य एक समय का और उत्कृष्ट असंख्यात काल का अन्तर होता है तथा परस्थान की अपेक्षा जघन्य एक समय का और उत्कृष्ट अनन्त काल का अन्तर होता है। 202. निरेयस्स केवतियं कालं अंतर होह ? गोयमा ! सट्ठाणंतरं पडुच्च जहन्नेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं प्रावलियाए असंखेज्जतिभाग; परहाणंतरं पड़च्च जहन्नेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं अणंतं कालं / [202 प्र. भगवन् ! निष्कम्प द्विप्रदेशी स्कन्ध का कितने काल का अन्तर होता है ? [202 उ.] गौतम ! स्वस्थान की अपेक्षा जघन्य एक समय का और उत्कृष्ट आवलिका के असंख्यातवें भाग का अन्तर होता है तथा परस्थान की अपेक्षा जघन्य एक समय का और उत्कृष्ट अनन्त काल का अन्तर होता है। 203. एवं जाव प्रणंतपएसियस्स। [203] इसी प्रकार यावत् (सकम्प और निष्कम्प) अनन्तप्रदेशी स्कन्ध के (काल का) अन्तर समझन 204. परमाणुपोग्गलाणं भंते ! सेयाणं केवतियं कालं अंतर होइ? गोयमा! नत्यंतरं। / 204 प्र.] भगवन् ! सकम्प (बहुत) परमाण-पुद्गलों का अन्तर कितने काल का होता है ? [204 उ.] गौतम ! उनमें अन्तर नहीं होता / 205. निरेयाणं केवतियं कालं अंतर होइ ? नत्थंतरं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org