________________ पच्चीसवां शतक : उद्देशक 4] [371 1239 उ.! गौतम ! (उनका) अन्तर नहीं होता। 240. एवं जाव अणंतपएसियाणं / [240] इसी प्रकार यावत् अनन्तप्रदेशी स्कन्धों तक के अन्तर का कथन जानना चाहिए। विवेचन-प्रस्तुत 24 सूत्रों (217 से 240 तक) में परमाणु-पुद्गल से लेकर अनन्तप्रदेशी स्कन्ध के एकत्व और बहुत्व की अपेक्षा देशकम्प, सर्वकम्प और निष्कम्प की दृष्टि से जघन्य-उत्कृष्ट स्थिति तथा अन्तर दोनों की प्ररूपणा की गई है।' सर्व-देशकम्पक-निष्कम्पक परमाणु से अनन्तप्रदेशी स्कन्धों का अल्पबहुत्व 241. एएसि णं भंते ! परमाणुपोग्गलाणं सव्वेयाणं निरेयाण य कयरे कयरेहितो जाव विसेसाहिया वा? गोयमा ! सम्वत्थोवा परमाणुपोग्गला सम्वेया, निरेया असंखेज्जगुणा / [241 प्र. भगवन् ! इन (पूर्वोक्त) सर्वकम्पक और निष्कम्पक परमाणु-पुद्गलों में कौन किनसे यावत् विशेषाधिक हैं ? [241 उ. गौतम ! सबसे धोड़े सर्वकम्पक परमाणु-पद्गल होते हैं। उनसे निष्कम्पक परमाणु-पुद्गल असंख्यातगुणे हैं / 242. एएसि णं भंते ! दुपएसियाणं खंधाणं देसेयाणं सटवेयाणं निरेयाण य कयरे कयरेहितो जाव विसेसाहिया वा? गोयमा ! सम्वत्थोवा दुपएसिया खंधा सम्वेया, देसेया असंखेज्जगुणा, निरेया असंखेज्जगुणा / 1242 प्र.] भगवन् ! देशकम्पक, सर्वकम्पक और निष्कम्पक द्विप्रदेशी स्कन्धों में कौन किनसे यावत् विशेषाधिक हैं ? (242 उ.] गौतम ! सबसे थोड़े सर्वकम्पक द्विप्रदेशी स्कन्ध हैं, उनसे देशकम्पक और और उनसे निष्कम्पक द्विप्रदेशी स्कन्ध उत्तरोत्तर क्रमशः असंख्यात-असंख्यातगुण हैं। 243. एवं जाव असंखेज्जपएसियाणं खंधाणं / [243] इसी प्रकार यावत् असंख्यात-प्रदेशी स्कन्धों तक अल्पबहुत्व के विषय में जानना चाहिए। 244. एएसि णं भंते ! अणंतपएसियाणं खंधाणं देसेयाणं सम्वेषाणं निरेयाण य कयरे कयरहितो नाव विसेसाहिया वा ? गोयमा! सध्वत्थोवा अणंतपएसिया खंधा सम्वेया निरेया अणंतगुणा, देसेया अणंतगुणा / [244 प्र.] भगवन् ! देशकम्पक, सर्वकम्पक और निष्कम्पक अनन्तप्रदेशी स्कन्धों में कौन किनसे यावत् विशेषाधिक हैं ? 1. वियाहमणतिसुत्तं, भाग 2 (मूलपाठ-टिप्पणयुक्त), पृ. 1008-9 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org