________________ [व्याशाप्रजाप्तिसूत्र है, (24) कदाचित् अनेकदेश काला, अनेकदेश नीला, एकदेश लाल, एकदेश पीला और अनेकदेश श्वेत होता है, (25) कदाचित् अनेकदेश काला, अनेकदेश नीला, एकदेश लाल, अनेकदेश पीला और एकदेश श्वेत होता है, अथवा (26) कदाचित् अनेकदेश काला, अनेकदेश नीला, अनेकदेश लाल, एकदेश पीला और एकदेश श्वेत होता है / इस प्रकार पंचसंयोगी छब्बीस भंग होते हैं। इसी प्रकार कुल मिला कर वर्ण के क्रमश:-असंयोगी 5, द्विक-संयोगी 40, त्रिक-संयोगी 80, चतु:संयोगी 80 और पंच-संयोगी 26, यों वर्णसम्बन्धी कुल 231 भंग होते हैं / गन्ध के सप्तप्रदेशी स्कन्ध के समान 6 भंग होते हैं। रस के इसी स्कन्ध के वर्ण के समान 231 भंग होते हैं। स्पर्श के चतुष्प्रदेशी स्कन्ध के 36 भंग होते हैं। विवेचन-अष्टप्रदेशी स्कन्ध के वर्णादिविषयक पांच सौ बार भंग–अष्टप्रदेशीय स्कन्ध के विषय में वर्ण के 231, गन्ध के 6, रस के 231 प्रौर स्पर्श के 36, ये कुल मिला कर 504 भंग होते हैं। नवप्रदेशी स्कन्ध में वर्णादि के भंगों का निरूपण 6. नवपदेसियस्स० पुच्छा। गोयमा ! सिय एगवणे जहा अट्ठपएसिए नाव सिय चउफासे पन्नते। जति एगवणे, एगवण्ण-दुवण्ण-तिवण्ण-चउवण्णा जहेव भट्ठपएसियस्स / जति पंचवणे-सिय कालए य, नीलए य, लोहियए प, हालिद्दए य, सुक्किलए य 1; सिय कालए य, नीलए य, लोहियए य, हालिदए य, सुक्किलगा य 2; एवं परिवाडीए एक्कतीसं भंगा भाणियव्वा जाव सिय कालगाय, नीलगाय, लोहियगा य, हालिद्दगा य, सुक्किलए य; एए एक्कत्तीसं भंगा / एवं एक्कग-वुयग-तियगचउक्कग-पंचगसंजोएहि दो छत्तीसा भंगसया भवति / गंधा जहा अट्ठपएसियस्स। रसा जहा एयस्स चेव वण्णा। फासा जहा चउप्पएसियस्स / [प्र.] भगवन् ! नव-प्रदेशी स्कन्ध कितने वर्ण वाला होता है ? इत्यादि प्रश्न ? [6 उ.] गौतम ! अष्टप्रदेशी स्कन्ध के समान, कदाचित् एकवर्ण (से लेकर) यावत्--- कदाचित् चार स्पर्श वाला होता है; तक कहना चाहिए। यदि वह एक वर्ण, दो वर्ण, तीन वर्ण अथवा चार वर्ण वाला हो तो उसके भंग अष्टप्रदेशी स्कन्ध के (एक वर्ण, दो वर्ण, तीन वर्ण और चार वर्ण के) समान (कहने चाहिए / ) यदि वह पांच वर्ण वाला होता है, तो (1) कदाचित् एकदेश काला, एकदेश नीला, एकदेश लाल, एकदेश पीला और एकदेश श्वेत होता है, (2) कदाचित् एकदेश काला, एकदेश नीला, एकदेश लाल, एकदेश पीला और अनेकदेश श्वेत होता है। इस प्रकार इस क्रम से यावत्-कदाचित् अनेकदेश काला, अनेकदेश नीला, अनेकदेश लाल, अनेकदेश पीला और एकदेश श्वेत होता है, (यहाँ तक) इकतीस भंग कहने चाहिए / इस प्रकार पांच वर्ण के 31 भंग होते हैं / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org