________________ पच्चीसवां शतक : उद्देशक 4] [353 [140 प्र.] भगवन् ! संख्यातप्रदेशी पुद्गल ? {140 उ.] गौतम ! वह कदाचित् कृतयुग्म है, यावत् कदाचित् कल्योज है। 141. एवं असंखेज्जपदेसिए वि, अणंतपदेसिए वि। [141] इसी प्रकार असंख्यातप्रदेशी और अनन्त प्रदेशी स्कन्ध भी जानना चाहिए / 142. परमाणुपोग्गला गं भंते ! पएसटुताए कि कड़० पुच्छा। गोयमा ! अोघादेसेणं सिय कडजुम्मा जाव सिय कलियोगा; विहाणादेसेणं नो कडजुम्मा, नो तेयोया, नो दावर०, कलियोगा। - [142 प्र.] ! भगवन् (बहुत) परमाणुपुद्गल प्रदेशार्थरूप से कृतयुग्म हैं ? इत्यादि प्रश्न / {142 उ.] गौतम ! प्रोधादेश से वे कदाचित् कृतयुग्म हैं, यावत् कदाचित् कल्योज हैं / विधानादेश से कृतयुग्म, व्योज और द्वापरयुग्म नहीं हैं, किन्तु कल्योज हैं। 143. दुप्पएसिया णं० पुच्छा। गोयमा ! प्रोधादेसेणं सिय कडजुम्मा, नो तेयोया, सिय दावरजुम्मा, नो कलियोगा; विहाणादेसेणं नो कडजुम्मा, नो तेयोया, दावरजुम्मा, नो कलियोगा। [143 प्र.] भगवन् ! (अनेक) द्विप्रदेशी स्कन्ध प्रदेशार्थ से कृतयुग्म हैं ? इत्यादि प्रश्न / / [143 उ.] गौतम ! ओघादेश से कदाचित् कृतयुग्म हैं, कदाचित् द्वापरयुग्म है, किन्तु व्योज और कल्योज नहीं हैं। 144. तिपएसिया पं० पुच्छा। गोयमा ! ओघादेसेणं सिय कडजुम्भा जाव सिय कलियोगा; विहाणादेसेणं नो कउजुम्मा, तेयोगा, नो दावरजुम्मा, नो कलियोगा। [144 प्र.] भगवन् ! (अनेक) त्रिप्रदेशी स्कन्ध, प्रदेशार्थ रूप से कृतयुग्म हैं ? इत्यादि प्रश्न / [144 उ. | गौतम ! ओघादेश से कदाचित् कृतयुग्म हैं, यावत् कदाचित् कल्योज हैं। विधानादेश से वे कृतयुग्म, द्वापरयुग्म या कल्योज नहीं हैं, किन्तु ज्योज हैं। 145. चउप्पएसिया णं० पुच्छा। गोयमा ! प्रोधादेसेण वि विहाणादेसेण वि कडजुम्मा, नो तेयोगा नो दावर०, नो कलियोगा। [145 प्र.] भगवन् ! चतुष्प्रदेशिक स्कन्ध, प्रदेशार्थ रूप से कृतयुग्म हैं ? इत्यादि प्रश्न / [145 उ.] गौतम ! अोघादेश से और विधानादेश से भी वे कृतयुग्म हैं, किन्तु योज, द्वापरयुग्म और कल्योज नहीं हैं। 146. पंचपएसिया जहा परमाणुपोग्गला। [146] पंचप्रदेशी स्कन्धों की वक्तव्यता परमाणुपुद्गल के समान हैं / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org