________________ 352) [व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र [130 प्र.] भगवन् ! परमाणु पुद्गल प्रदेशार्थ से कृतयुग्म है ? इत्यादि प्रश्न / [130 उ.] गौतम ! वह कृतयुग्म नहीं, योज नहीं तथा द्वापरयुग्म भी नहीं है, किन्तु कल्योज है। 131. दुपएसिए पुच्छा। गोयमा ! नो कड०, नो तेयोए, दावर०, नो कलियोगे। [131 प्र.] भगवन् ! द्विप्रदेशी स्कन्ध ? [131 उ.] गौतम ! वह कृतयुग्म, योज या कल्योज नहीं है, किन्तु द्वापरयुग्म है। 132. तिपएसिए पुच्छा। गोयमा ! नो कडजुम्मे, तेयोए, नो दावर०, नो कलियोए। [132 प्र.] भगवन् ! त्रिप्रदेशी स्कन्ध ? | 132 उ.] गौतम ! वह कृतयुग्म, द्वापरयुग्म और कल्योज नहीं है, किन्तु श्योज है। 133. चउप्पएसिए पुच्छा। गोयमा ! कडजुम्मे, नो तेयोए, नो दावर०, नो कलियोए / [133 प्र.) भगवन् ! चतुष्प्रदेशिक स्कन्ध ? [133 उ.] गौतम ! वह कृतयुग्म है, किन्तु योज, द्वापरयुग्म और कल्योज नहीं है / 124. पंचपदेसिए जहा परमाणुपोग्गले / [134] पंचप्रदेशी स्कन्ध की वक्तव्यता परमाणु पुद्गल के कथन के समान जानना / 135. छप्पदेसिए जहा दुपदेसिए। [135] षट्प्रदेशी की वक्तव्यता द्विप्रदेशीस्कन्ध के समान जानना / 136. सत्तपदेसिए जहा तिपदेसिए / [136] सप्तप्रदेशी स्कन्ध का कथन त्रिप्रदेशी स्कन्ध के समान है / 137. अपएसिए जहा चउपदेसिए / [137] अष्टप्रदेशी स्कन्ध का कथन परमाणु युद्गल के समान जानना चाहिए। 138. नवपदेसिए जहा परमाणुपोग्गले / [138] नवप्रदेशी स्कन्ध का कथन परमाणु पुद्गल के समान जानना चाहिए। 136. दसपदेसिए जहा दुपदेसिए / [139) दशप्रदेशी स्कन्ध का कथन द्विप्रदेशिक के समान है / 140. संखेज्जपएसिए णं भंते ! पोग्गले० पुच्छा। गोयमा ! सिय कडजुम्मे, जाव सिय कलियोगे / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org