________________ पच्चीसवां शतक : उद्देशक 4] [355 [154 उ. | गौतम ! वह कृतयुग्म-प्रदेशावमाद, व्योज-प्रदेशावगाढ, द्वापरयुग्म-प्रदेशावगाढ नहीं है, किन्तु कल्योज-प्रदेशावगाढ है / 155. दुपएसिए पं० पुच्छा। गोयमा ! नो कडजुम्मपएसोगाढे, जो तेयोग०, सिय दावरजुम्मपएसोगाढे, सिय कलियोग. पएसोगाढे। |155 प्र.] भगवन् ! द्विप्रदेशीस्कन्ध कृतयुग्म-प्रदेशावगाढ है ? इत्यादि प्रश्न / 1.155 उ.] गौतम ! वह कृतयुग्म-प्रदेशावगाढ नहीं है, योज-प्रदेशावमाढ भी नहीं है, कदाचित् द्वापरयुग्म-प्रदेशावगाढ और कदाचित् कल्योज-प्रदेशावगाढ है / 156. तिपएसिए णं० पुच्छा। गोयमा ! नो कडजुम्मपएसोगाढे, सिय तेयोगपएसोगाढे, सिय दावरजुम्मपएसोगाढे, सिय कलियोगपएसोगाढे / [156 प्र.] भगवन् ! त्रिप्रदेशी स्कन्ध ? [156 उ.] गौतम ! वह कृतयुग्म-प्रदेशावगाढ नहीं है, किन्तु कदाचित् योज-प्रदेशावमाढ, कदाचित द्वापरयुग्म-प्रदेशावगाढ और कदाचित कल्योज-प्रदेशावगाढ है। 157. चउपएसिए पं० पुच्छा। गोयमा ! सिय कडजुम्मपएसोगाढे जाव सिय कलियोगपएसोगाढे / {157 प्र.] भगवन् ! चतुष्प्रदेशी स्कन्ध ? [157 उ.] गौतम ! वह कदाचित् कृतयुग्म-प्रदेशावगाढ है, यावत् कदाचित् कल्योजप्रदेशावगाढ है। 158. एवं जाव प्रणंतपएसिए / [158] इसी प्रकार (यहाँ से लेकर) अनन्तप्रदेशी स्कन्धावगाढ तक जानना चाहिए। 156. परमाणुपोग्गलाणं भंते ! कि कड० पुच्छा। गोयमा! ओघादेसेणं कडजुम्मपएसोगाढा, नो तेयोय०, नो दावर०, नो कलियोग; विहाणा. देसेणं नो कडजुम्मपएसोगाढा, णो तेयोग०, नो दावर०, कलियोगपएसोगाढा। [156 प्र.] भगवन् ! (बहुत) परमाणु-पुद्गल कृतयुग्म-प्रदेशावगाढ हैं ? इत्यादि प्रश्न / [156 उ.] गौतम ! अोघादेश से (वे) कृतयुग्म-प्रदेशावगाढ हैं, किन्तु योज-प्रदेशावगाढ, द्वापरयुग्म-प्रदेशावगाढ और कल्योज-प्रदेशावगाढ नहीं हैं। विधानादेश से वे कृतयुग्म-प्रदेशावगाढ, श्योज-प्रदेशावगाढ तथा द्वापरयुग्म-प्रदेशावगाढ नहीं हैं, किन्तु कल्योज-प्रदेशावगाढ है / 160. दुपएसिया पं० पुच्छा। गोयमा! प्रोपावेसेणं कहजुम्मपएसोगाढा, नो तेयोग०, नो वावर०, नो कलिओग०; Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org