________________ 35.] [ ঘায়োলম্বি एक-संख्येय-असंख्येय-अनन्तगुण वर्ण-गन्धादि वाले पुद्गलों को द्रव्यार्थ प्रदेशार्थरूप से अल्पबहुत्वचर्चा 121. एएसि गं भंते ! एगगुणकालगाणं संखेज्जगुणकालगाणं असंखेज्जगुणकालगाणं अणंतगुणकालगाण य पोग्गलाणं दवट्ठयाए पएसट्टयाए दव्वट्ठपएसट्टयाए० ? एएसि जहा परमाणुपोग्गलाणं अप्पाबहुगं तहा एतेसि पि अप्पाबहुगं। [121 प्र. भगवन् ! एकगुण काला, संख्यातगुण काला, असंख्यातगुण काला और अनन्तगुण काला, इन पुद्गलों में द्रव्यार्थ, प्रदेशार्थ और द्रव्यार्थ-प्रदेशार्थ से कौन पुद्गल किन पुद्गलों से यावत् विशेषाधिक हैं ? [121 उ.] गौतम ! जिस प्रकार परमाण-पुदगलों का अल्पबहुत्व बताया गया है, उसी प्रकार इनका भी अल्पबहुत्व जानना चाहिए / 122. एवं सेसाण वि वण्ण-गंध-रसाणं / | 122] इसी प्रकार शेष वर्ण, गन्ध और रस सम्बन्धी अल्पबहुत्व के विषय में कहना चाहिए। 123. एएसि णं भंते ! एगगुणकक्खडाणं संखेज्जगुणकक्खडाणं असंखेज्जगुणकक्खडाणं अणंतगुणकक्खडाण य पोग्गलाणं दवट्टयाए पएसट्टयाए दवटुपएसट्ठयाए कयरे कयरेहितो जाय विसेसाहिया वा ? गोयमा! सम्वत्थोषा एगगुणकक्खडा पोग्गला दब्वट्ठयाए, संखेज्जगुणकक्खडा पोग्गला दन्वट्टयाए संखेन्जगुणा, असंखेज्जगुणकक्खडा पोग्गला दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा, अणंतगुणकक्खडा पोग्गला दबट्टयाए अणंतगुणा। पएसट्ठयाए एवं चेव, नवरं संखेज्जगुणकक्खडा पोग्गला पएसद्वयाए असंखज्जगुणा, सेसं तं चेव। दवट्ठपएसट्टयाए सव्वत्थोवा एगगुणकक्खडा पोग्गला दब्वटुपएसट्टयाए, संखेज्जगुणकक्खडा पोग्गला दवट्टयाए संखेज्जगुणा, ते चेव पएसट्टयाए संखेज्जगुणा, असंखेज्जगुणकक्खडा दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा, ते चेव पएसट्टयाए असंखेज्जगुणा / अणंतगुणकक्खडा दव्वट्ठयाए अणंतगुणा, ते चेव पएसट्टयाए अणंतगुणा / [123 प्र.] भगवन् ! एकगुण कर्कश, संख्यातगुण कर्कश, असंख्यातगुण कर्कश और अनन्तगुण कर्कश पुद्गलों में द्रव्यार्थ, प्रदेशार्थ और द्रव्यार्थ-प्रदेशार्थ से कौन पुद्गल किन पुद्गलों से यावत् विशेषाधिक हैं ? [123 उ.] गौतम ! एकगुण कर्कश पुद्गल द्रव्यार्थ से सबसे थोड़े हैं। उनसे संख्यातगुण कर्कश पुद्गल द्रव्यार्थ से संख्यातगुण हैं / उनसे असंख्यातगुण कर्कश पुदगल द्रव्यार्थ से असंख्यात गुण हैं / उनसे अनन्तगुण कर्कश पुद्गल द्रव्यार्थ से अनन्तगुण हैं। प्रदेशार्थ से भी इसी प्रकार समझना चाहिए। विशेष यह है कि संख्यातगुण कर्कष-पुद्गल प्रदेशार्थ से असंख्यातगुण है। शेष कथन पूर्ववत् / द्रव्यार्थ-प्रदेशार्थ से-एक गुणकर्कश पुद्गल द्रव्यार्थ-प्रदेशार्थ से सबसे थोड़े हैं। उनसे संख्यातगुण कर्कश Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org